BNP NEWS DESK। Shiva-Parvati Marriage श्री काशी विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के बाद परंपरानुसार शिव-विवाह के लिए विजया एकादशी गुरूवार को तेल-हल्दी की रस्म के बाद शनिवार को महाशिवरात्रि पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का विशेष वर-वधु के रूप में राजषी श्रृंगार किया गया। दूल्हा बने बाबा की प्रतिमा को सेहरा लगाया गया था वही माता गौरा मथुरा से मंगवायी गई खास लाल लहंगे में सजीं।
— Bharatnewspost (@Bharatnewspost1) February 18, 2023
ब्रह्ममुहूर्त में प्रतिमाओं का रुद्राभिषेक किया गया
टेढ़ीनीम महंत आवास पर साढ़े तीन सौ वर्ष वर्षों से चली आ रही लोकपरंपरा के अनुसार महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बाबा व गौरा की प्रतिमा की सायंकाल 8 से 9 तक विवाह की परंपरा का निर्वहन कर आरती की। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में प्रतिमाओं का रुद्राभिषेक किया गया। पं. वाचस्पति तिवारी ने सपत्नीक रुद्राभिषेक किया। दोपहर में फलाहर का भोग लगाया गया। भोग आरती के बाद संजीवरत्न मिश्र ने बाबा एवं माता की चल प्रतिमा का राजसी शृंगार किया कर विशेष आरती उतारी। सायंकाल मंगलगीतों के साथ परंपरा की शुरुआत हुई।
इस मौके उपस्थित श्रद्धालु महिलाओं ने मंगल गीत गाकर माहौल भक्तिमय कर दिया। बाबा की प्रतिमा का विवाहोत्सव महंत-आवास टेढीनीम में मनाया गया। महंत डॉ. कुलपति तिवारी के अनुसार महंत परिवार बाबा विश्वनाथ रजत प्रतिमाओं के साथ सभी निजी प्रतिमाओं को महाशिवरात्रि पर पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। महेंद्र प्रसन्ना ने शहनाई की मंगल ध्वनि की। कार्यक्रम के बाद रात्रि मे मंदिर में चारों प्रहर की विशेष आरती पं.शशिभूषण त्रिपाठी गुड्डू महाराज ने संपन्न कराई।
3 मार्च को रंगभरी एकादशी पर माता के गौना की रस्म निभाई जाएगी
Shiva-Parvati Marriage 3 मार्च को रंगभरी एकादशी पर माता के गौना की रस्म निभाई जाएगी। विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर दोपहर में मातृका पूजन से लेकर विवाह तक की परंपरा का निर्वाह हुआ। इसके बाद करीब चार सौ साल पुराने स्फटिक के शिवलिंग को आंटे से चौक पूर कर पीतल की परात में रखा गया।
इसके बाद पारंपरिक वैवाहिक गीतों की गूंज के बीच महंत पं. कुलपति तिवारी के सानिध्य में मातृका पूजन किया गया। इसके उपरांत वैदिक ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार के बीच सभी देवी-देवताओं से शिव के विवाह में शामिल होने का अनुरोध किया। महंत आवास पर बाबा के विवाह की प्रक्रिया सुबह पांच बजे पूरी हुई।
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Shiva-Parvati Marriage
महाशिवरात्रि पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का विशेष वर-वधु के रूप में राजषी श्रृंगार किया गया।
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