BNP NEWS DESK। Karthikai Deepam काशी तमिल संगम में आज एक भव्य दीपोत्सव मनाया गया। बीएचयू स्थित कार्यक्रम स्थल एम्फीथियेटर ग्राउंड में बीएचयू एनएसएस के स्वयं सेवकों एवं काशीवासियों द्वारा पूरे क्षेत्र में 5 हजार एक सौ दीप जलाया गया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य यही है कि दक्षिण भारतीयों द्वारा यह उत्सव बड़े ही धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय समुदाय के लोग विश्व में कहीं भी रहते हैं वह इस उत्सव Karthikai Deepam को मनाते हैं ।बड़े विशेष तरीके से इस उत्सव को मनाया जाता है। इस उत्सव को Karthikai Deepam के नाम से जाना जाता हैं।
— Bharatnewspost (@Bharatnewspost1) December 6, 2022
पौराणिक कहानियों में इस उत्सव का है उल्लेख
पौराणिक कथाओं का कहना है कि भगवान शिव विष्णु और ब्रह्मा के सामने प्रकाश की ज्वाला प्रकट हुए। जो प्रत्येक खुद को सर्वोच्च मानते थे। अपने वर्चस्व का दावा करने के लिए, भगवान शिव ने उन्हें अपना सिर या पैर खोजने के लिए चुनौती दी। विष्णु ने वराह (वराह) का रूप धारण किया और पृथ्वी की गहराई में चले गए लेकिन खोज नहीं पाए। ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया। बताया कि उन्होंने तजहम्पु के फूल की मदद से भगवान शिव की पहचान की है।
भगवान शिव ने झूठ को भांप लिया और श्राप दिया कि ब्रह्मा का दुनिया में कोई मंदिर नहीं होगा । उनकी पूजा करते समय थजम्पु फूल का उपयोग नहीं किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन शिव विष्णु के सामने ज्वाला के रूप में प्रकट हुए थे। ब्रह्मा को कार्तिगई दीपम के रूप में मनाया जाता है।
बीएचयू के प्रोफेसर बाला लाखेन्द्र ने बताया कि यह कार्तिक दीपम कार्यक्रम जहां हमारे राष्ट्रीय सेवा योजना के बच्चे दीपजला रहे हैं । यह दो सांस्कृतिक केंद्रों का मिलन है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम दोनों राज्यों को संदेश दे रहें है। आज भी हमारे युवा जागरुक है । और यह जो काशी तमिल संगमम् के तहत आज कार्तिकई दीपम कार्यक्रम हो रहा है । यह एक महत्वपूर्ण एवं सांस्कृतिक चेतना का एक प्रतीक है।
काशी तमिल संगमम् में बना रहे तमिल विद्वान, शिक्षक की भूमिका निभा रहे हरिशंकर
काशी तमिल संगम के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद हर किसी काशीवासी के मन में तमिल भाषा सभ्यता और संस्कृति को जानने सीखने और पहचानने की इच्छा जागृत हो जाती है । लोगों की इच्छाओं और तमिलनाडु की भाषा ज्ञान को विस्तार रूप देने के लिए संस्कृति भारती के पूर्णकालिक स्वयंसेवक हरि शंकर शिक्षक की भूमिका की भूमिका निभा रहे हैं ।
एक तरफ काशी तमिल संगमम् में सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत होती है । वहीं दूसरी तरफ हरिओम की तमिल पाठशाला की शुरुआत होती है। उन्होंने बताया कि यहाँ तमिल सम्भाषण चल रहा है। हिन्दी-भाषी एवं अन्य भाषा के लोग भी है। वे सभी तमिल भाषा भी जानने की इच्छा रखते है। अत: मैं छोटे छोटे वाक्यों में 10 से 15 मिनट में लोगों को लिखकर समझा रहा हूँ।
जैसे- “मेरा नाम ” मम् नाम ” मम जनकस्य नाम, (मेरे पिता का नाम) मैं कहाँ रहता हूँ ( अहं कुत्र निवसामि) 10 से 15 मिनट में तमिल भाषा को छोटे-छोटे वाक्यों में समझाता हूँ सम्भाषण में जब लोग छोटे छोटे तमिल वाक्यों का प्रयोग जान लेंगे तो उनका भी तमिल भाषा बोलने में विश्वास हो जायेगा और आसानी के बोल लेंगे ।
संस्कृत भाषा से तमिल भाषा कुछ सीखने का एक पहल
संस्कृत भाषा की मदद से हरिशंकर तमिल भाषा को बोलने और समझने की शिक्षा दे रहे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक छात्र ने बताया कि यह एक अद्भुत कार्य इनके द्वारा किया जा रहा है। हम इस कार्यक्रम के सांस्कृतिक संध्या के कार्यक्रम में आते हैं। शाम को हमें पता चला कि यहां तमिल भाषा बोलना सिखाया जा रहा तो हम यहां आ गये ।
हरिशंकर जी द्वारा बहुत अच्छी तरह से सिखाया जा रहा। वही संस्कृति विभाग के अधोक्षज ने बताया कि संस्कृत भाषा से तमिल भाषा कुछ सीखने का एक अद्भुत पल रहा। हम एक पल को ऐसा लगा कि हम अपने कक्षा में बैठे हैं। तमिल भाषा जानने और सीखने की शिक्षा ले रहे। बड़े ही सहज भाव से हरिशंकर जी द्वारा हमें यह बताया जा रहा है। काफी अच्छा पहल है।
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Karthikai Deepam
काशी तमिल संगम में आज एक भव्य दीपोत्सव मनाया गया। बीएचयू स्थित कार्यक्रम स्थल एम्फीथियेटर ग्राउंड में बीएचयू एनएसएस के स्वयं सेवकों एवं काशीवासियों द्वारा पूरे क्षेत्र में 5 हजार एक सौ दीप जलाया गया ।
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