BNP NEWS DESK। Vasantik Navratri 2023 शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती दुर्गा की उपासना-आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र इस बार 22 मार्च (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से शुरू हो रहा है। व्रत-पूजन विधान 30 मार्च महानवमी (रामनवमी) तक चलेंगे। नवरात्र व्रत का पारन 31 मार्च को होगा। वहीं, महाअष्टमी व्रत का पारन नवमी में 30 मार्च को किया जाएगा। इस बार नवरात्र में पूरे नौ दिन मिल रहे हैं।
Vasantik Navratri 2023 ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 मार्च की रात 11.04 बजे लग रही है जो 22 की रात 9.24 बजे तक रहेगी। घट स्थापन का शुभ मुहूर्त प्रात: छह बजे से 7.07 बजे और उसके बाद 8.44 से 10.40 तक है। इस अवधि में जो लोग कलश स्थापन न कर पाएं वे अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.06 से 12.54 बजे तक या पूरे दिन कभी भी कर सकते हैं।
महानिशा पूजन 28 की रात, 30 को रामनवमी
शास्त्र अनुसार महानिशा पूजन सप्तमी युक्त अष्टमी में किया जाता है। यह मध्य रात्रि निशिथ व्यापिनी अष्टमी योग 28 मार्च को मिलेगा। इसमें महानिशा पूजन, बलिदान आदि किया जाएगा। महाष्टमी व्रत 29 मार्च को किया जाएगा। चैत्र शुक्ल महानवमी व रामनवमी 30 मार्च को होगी। नवरात्र का होम आदि 30 मार्च को किया जाएगा।
नव संवत्सर, राजा बुध और मंत्री शुक्र
हिंदी नववर्ष नवसंवत्सर का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष यानी उजास पक्ष (अजोरिया) में शक्ति की अधिष्ठात्री परांबा मां जगदंबा की पूजा-आराधना के काल नवरात्र के साथ होता है। प्रतिपदा उदया बेला में 22 मार्च को मिल रही है। अतः नवसंवत्सर 2080 का आरंभ इसी दिन से माना जाएगा। इसे नल नाम से जाना जाएगा। वर्ष पर्यंत इसका ही पूजन-अनुष्ठान, यज्ञ विधान आदि के संकल्पादि में विनियोग होगा। इस संवत् के राजा बुध व मंत्री शुक्र हैं।
भारत के लिए यह संवत्सर उन्नति दायक
विक्रम संवत् 2080 के आरंभ होने के साथ कलियुग के 5124 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। इसके साथ नूतन वर्ष का आरंभ भी हो जाएगा। कारण यह कि सृष्टि के आदि काल में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही दिन, मास, वर्ष, युग आदि की एक साथ प्रवृत्ति हुई थी। भारतीय कालगणना परंपरा में प्रत्येक वर्ष का नामकरण किया जाता है। उस वर्ष के राजा, मंत्री, दुर्गेश, धनेश, रसेश आदि का सुस्पष्ट विधि के द्वारा निर्धारण करते हुए वर्षपर्यंत उनके फलों की विवेचना होती है। 2080 विक्रम संवत् में नल नामक यह संवत्सर समग्र जगत के लिए अनेक विषमताओं से परिपूर्ण है।
इस वर्ष के राजा बुध और मंत्री शुक्र में मैत्री होने के कारण भारत में सत्ता पक्ष सफलतापूर्वक अपने कार्यों को संपादित करता रहेगा। हालांकि जगत् लग्न में लग्नेश बुध के राहु के साथ अष्टम भाव में विद्यमान होने से विश्व में अशांति व तनाव की स्थितियां उत्पन्न होंगी। पड़ोसी देशों से संबंध अच्छे नहीं रहेंगे। राष्ट्रों में परस्पर भेदभाव बढ़ेगा। विश्व के अनेक भागों में युद्ध की स्थितियां उत्पन्न होंगी, लेकिन भारत के लिए यह संवत्सर उन्नति दायक है ।
The Review
Vasantik Navratri 2023
Vasantik Navratri 2023 शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती दुर्गा की उपासना-आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र इस बार 22 मार्च (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से शुरू हो रहा है।
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