वाराणसी, बीएनपी न्यूज डेस्क । जब काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री पुरस्कारों से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई तब काशी का विद्वत समाज अभिभूत हो गया। ऐसा होना लाजिमी था क्योंकि 89 वर्ष की अवस्था में आज भी वे अपने शंकुलधारा पोखरा स्थित आवास पर विद्यार्थियों से घिरे रहते हैं और संस्कृत व्याकरण के सूत्रों पर टिप्पणी व व्याख्यान देते रहते हैं। प्रो. रामयत्न शुक्ल का जन्म भदोही जिले के एक गांव में 1932 में हुआ था। उनके पिता राम निरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे। उन्होंने धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी व स्वामी चैतन्य भारती से वेदांत शास्त्र, हरिराम शुक्ल से मीमांसा और पंडित रामचन्द्र शास्त्री से दर्शन व योग शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की। प्रो. शुक्ल बीएचयू संस्कृत विद्या धर्मविद्या संकाय में आचार्य पद पर कार्य कर चुके हैं। वे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय में भी व्याकरण विभाग के आचार्य व अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके हैं। वे आज भी संस्कृत की अप्रतिम सेवा कर रहे हैं। वे अष्टाध्यायी की वीडियो रिकार्डिंग कराकर नई पीढ़ी को संस्कृत का ज्ञान देने का प्रयास कर रहे हैं।इसके लिए उन्हें 2015 में संस्कृत भाषा का शीर्ष सम्मान विश्व भारती भी प्रदान किया जा चुका है। वे संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इस समय युवा स्नातकों को निशुल्क संस्कृत शिक्षा दे रहे हैं।
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