पासीघाट, , बीएनपी न्यूज डेस्क।। केंद्रीय मंत्री अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनईआईएफएमआर) में बोल रहे थे। उन्होंने संस्थान के परिसर में नई बुनियादी संरचना विकसित करने के लिए 53.72 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की। पासीघाट में एनईआईएफएमआर परिसर के अंदर 30 छात्रों के प्रवेश की सीटों और 60 बिस्तरों वाले आयुर्वेद अस्पताल के साथ एक नया आयुर्वेद कॉलेज स्थापित किया जाएगा, जिसमें मौजूदा क्षमता के अलावा 86 पदों का प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। निकट भविष्य में एक शैक्षणिक खंड, एक बाल-छात्रावास, एक बालिका-छात्रावास और खेल परिसर बनाने की भी योजना तैयार की जा रही है।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सोनोवाल ने कहा,’लोक चिकित्सा पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और विश्वासों का मिश्रण है। पूर्वोत्तर में, हमारे पास लोक चिकित्सा की एक मजबूत संस्कृति है, जिसका संरक्षण वैज्ञानिक पद्धति से नहीं किया गया है। अब हम वैदिक युग की चिकित्सा के इस अद्भुत उपहार को संरक्षित करने और समृद्ध करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं, जिसे प्रकृति ने हमें प्रदान किया है।’
मुझे यहां एक अस्पताल के साथ नए आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। इससे आगे एनईआईएएफएमआर के माध्यम से समृद्ध पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने के हमारे प्रयासों को मजबूती मिलने जा रही है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में आयुष सेक्टर के प्रसार के लिए भविष्य की योजनाओं के संबंध में बताते हुए, श्री सोनोवाल ने कहा कि क्षेत्र में हमारे आयुर्वेद कॉलेजों को मजबूत करने के अलावा, कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्थान जैसे रीजनल रॉ ड्रग रिपॉजिटरी (आरआरडीआर) और संग्रहालय, परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधा (सैफ), अत्याधुनिक पंचकर्म उपचार एवं अनुसंधान केंद्र, और पैरामेडिकल टीचिंग सेंटर भी इस क्षेत्र में नियत समय में स्थापित करने की योजना है।
पासीघाट स्थित पूर्वोत्तर लोक चिकित्सा संस्थान (एनईआईएफएम) जिसका नाम बदलकर पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान कर दिया गया है, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त राष्ट्रीय संस्थान है।
करीब 40 एकड़ क्षेत्र में फैले इस संस्थान की स्थापना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 फरवरी, 2008 को मंजूरी दी थी। एनईआईएएफएमआर की स्थापना पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा पद्धतियों को मजबूत करने और उनका विकासत करने के लिए की गई है, ताकि देश को खासतौर से पूर्वोत्तर क्षेत्र को लाभ मिले।
संस्थान का मकसद सामान्य रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की शुरुआत और खाखातैर से अरुणाचल प्रदेश में स्वास्थ्य संबंधी स्थानीय परंपराओं, चिकित्सा ज्ञान, पारंपरिक ज्ञान के आधार पर स्वास्थ्यप्रद जानकारी, दवाओं के चिकित्सीय उत्पादों का विकास, आईपीआर के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण, पोषण और पारंपरिक पद्धतियों का सतत उपयोग तथा जैव विविधता का दस्तावेज तैयार करना और उनका मूल्यांकन करना है।
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