बीएनपी न्यूज डेस्क। Maharashtra changed two cities Names उद्धव सरकार द्वारा जाते-जाते जल्दबाजी में किए गए औरंगाबाद एवं उस्मानाबाद नामांतर के निर्णय पर एकनाथ शिंदे सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडल की अंतिम बैठक में महाराष्ट्र के दो शहरों के नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। इस बैठक में औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर एवं उस्मानाबाद का नाम धाराशिव कर दिया गया था।
पनवेल में बन रहे नए विमानतल का नाम स्थानीय लोगों की मांग पर लोकनेता डी.बी.पाटिल विमानतल करने का फैसला किया गया था। आज सप्ताह में दूसरी बार बुलाई गई मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव सरकार के उस फैसले पर मुहर लगा दी। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि 29 जून को तत्काल सरकार ने अल्पमत में रहते हुए यह फैसला जल्दबाजी में किया था। भविष्य में इस निर्णय को लेकर कोई दिक्कत न पैदा हो, इसलिए हमारी पूर्ण बहुमतवाली सरकार ने इस निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी है।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अब सरकार महाराष्ट्र विधानमंडल में इन सभी नामांतरणों का प्रस्ताव पास करवाकर केंद्र सरकार के पास भेजेगी। वहां से अनुमति मिलने के बाद नामांतर की प्रक्रिया पूर्ण होगी। बता दें कि औरंगाबाद एवं उस्मानाबाद शहरों के नाम क्रमशः छत्रपति संभाजी नगर एवं धाराशिव करने की मांग शिवसेना द्वारा काफी पहले से की जाती रही है। शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे अपने जीवन भर इन नगरों को अब बदले जा रहे नामों से पुकारा करते थे। चूंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बालासाहब के विचारों को आगे ले जाने का दावा करते हैं, इसलिए उन्होंने उद्धव सरकार के इस फैसले पर मुहर लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार बालासाहब के विचारोंवाली सरकार है।
Maharashtra changed two cities Names बता दें कि मुगल शासक औरंगजेब के नाम से जाने जानेवाले औरंगाबाद शहर का नाम बदला जाना कांग्रेस, राकांपा और एआईएमआईएम जैसी पार्टियों को रास नहीं आ रहा है। आज शिंदे सरकार द्वारा इस फैसले पर मुहर लगाए जाने के बाद औरंगाबाद से ही एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने यह कहकर इस फैसले की आलोचना की है कि शिंदे सरकार महापुरुषों के नाम को लेकर राजनीतिक कर रही है। एआईएमआईएम इस नामांतर को लेकर औरंगाबाद में विरोध प्रदर्शन भी कर चुकी है। कांग्रेस भी सैद्धांतिक रूप से इस नामांतर की विरोधी रही है। जिस दिन उद्धव ठाकरे ने अपनी कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया था, उस दिन कांग्रेस के दो मंत्री असलम शेख एवं वर्षा गायकवाड बैठक का बहिष्कार कर बाहर आ गए थे। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने फैसले के पक्ष में बोलते हुए कहा था कि इस इतिहास को बदला नहीं जा सकता कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की बर्बरतापूर्वक हत्या की थी।
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