BNP NEWS DESK। Chaturmas कान्हा की नगरी आस्था का केंद्र है। आस्था की धरा पर अब चार माह भक्ति की धारा प्रवाहित होगी। चातुर्मास 17 जुलाई से शुरू हो रहा है और 12 नवंबर तक रहेगा। चातुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं होंगे, लेकिन धार्मिक आयोजनों की धूम रहेगी।
Chaturmas चातुर्मास में कान्हा की धरा आस्था से जगमग रहती है। सावन, भादो, आश्विन (क्वार), कार्तिक में श्रद्धा झूमती है। सावन में मंदिरों में सोने-चांदी के हिंडोले और घटाएं सजती हैं।
मुड़िया मेले में पांच दिन गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालुओं की लाइन अनवरत बनी रहती है। चातुर्मास में ब्रज के प्रमुख आयोजन जन्माष्टमी, राधाष्टमी, यम द्वितीया स्नान, शरद पूर्णिमा आदि में श्रद्धालु उमड़ते हैं। मान्यता है कि चातुर्मास में चौरासी कोस की परिक्रमा करने से सभी तीर्थों का फल मिलता है।
श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के संस्थापक अमित भारद्वाज ने बताया कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होता है और देवोत्थान एकादशी तक रहता है। देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर की है।
मान्यता है कि चातुर्मास में सभी देव, तीर्थ, ऋषि ब्रज में वास करते हैं। इन अवधि में ब्रज चौरासी कोस की यात्रा होती है। चातुर्मास में मांगलिक कार्य विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश नहीं होते हैं।
देवी-देवताओं का होता है वास : धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता तीर्थ यात्रा करने जाना चाहते थे। इस कारण भगवान श्रीकृष्ण ने सभी देवी-देवताओं को ब्रज आने का आह्वान किया। तभी से सभी देवी-देवता चातुर्मास में ब्रज में वास करते हैं।
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कान्हा की नगरी आस्था का केंद्र है। आस्था की धरा पर अब चार माह भक्ति की धारा प्रवाहित होगी।
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