बीएनपी न्यूज डेस्क। स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर की अस्थियां मंगलवार को गंगा में विसर्जित कर दी गईं। उनकी बहन उषा मंगेशकर समेत परिवारीजनों ने अहिल्याबाई घाट पर वैदिक रीति से कलश पूजन किया। बजड़े पर सवार हुईं और गंगा की मध्य धारा में अस्थि कलश विसर्जन किया। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम घाट होते परिवारीजन बाबा दरबार गए। वहां स्वर साम्राज्ञी की आत्मा शांति के लिए विधि-विदान से पूजन-अर्चन किया। बजड़े से ही खिड़किया घाट पहुंचीं और गंगा की धारा को कुछ देर निहारने के बाद सभी सड़क मार्ग से लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा पहुंचे और वहां से मुंबई के लिए प्रस्थान कर गए।अस्थि कलश लेकर बहन उषा मंगेशकर समेत परिवारीजन सोमवार रात बनारस आ गए थे। यहां सिंधिया घाट स्थित एक होटल में रात्रि विश्राम किया। सुबह अहिल्याबाई घाट पहुंच कर विसर्जन के निमित्त अनुष्ठान किए गए। पुरोहित श्रीकांत पाठक ने पूजन अर्चन कराया। आदिनाथ मंगेशकर, कृष्णा मंगेशकर, मयूरेश पई, विजय खाड़े, प्रतीक समदानी के साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के व्यक्तिगत सहायक मिलिंद नार्वेकर उनके साथ थे। संयोजन बृहन महाराष्ट्र मंडल के उत्तर प्रदेश विभागीय कार्यवाह षडानन पाठक और ख्यात सरोद वादक विकास महाराज, प्रदीप पाठक, यश मिश्र ने सहयोग किया।दशकों तक फिल्म संगीत जगत में सुर गंगा प्रवाहित करने वाली भारत रत्न लता मंगेशकर का छह फरवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। कोरोना संक्रमण और फिर बाद में निमोनिया के कारण उन्हें आठ जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुंबई के शिवाजी पार्क में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था। साथ ही भारत सरकार की ओर से दो दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया था।सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का संगीत नगरी बनारस आना तो सिर्फ एक बार 1951 में ही हुआ था लेकिन यहां के लोगों से उन्हें बहुत लगाव था। बनारसी साड़ियां उन्हें बेहद पसंद थीं। यहां के साड़ी निर्माता अरमान-रिजवान से अक्सर अपने लिए व अपनों को उपहार देने के लिए मंगाया करती थीं। उनके अस्वस्थ होने पर अरमान-रिजवान ने उनके दीर्घायुष्य के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अनुष्ठान भी कराया था।
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