BNP NEWS DESK। Annapurna Temple अन्नपूर्णा मंदिर में 17 दिवसीय महाव्रत प्रारंभ हुआ। अगहन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि बुधवार से सुरू हुआ। जिसका समापन 17 वें दिन यानी 7 दिसंबर को होगा। धान के बाली का श्रंगार अगहन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को होगा।
Annapurna Temple यह महाव्रत 17 वर्ष 17 महीने 17 दिन का होता है। परंपरा के अनुसार इस व्रत के प्रथम दिन प्रातः मंदिर के महंत श्री शंकर पूरी ने स्वयं अपने हाथों से 17 गांठ के धागे भक्तों को दिया।
भोर में शविधि 17 गांठ वाले धागे का महंत जी के मौजूदगी में पूजन कर माता की पुस्तक व धागा वितरण किया जाने लगा
माता अन्नपूर्णा के इस महाव्रत में भक्त 17 गांठ वाला धागा धारण करते हैं। इसमें महिलाएं बाएं व पुरुष दाहिने हाथ में इसे धारण करते हैं।
इसमें अन्न का सेवन वर्जित होता है। केवल एक वक्त फलाहार किया जाता है वह भी बिना नमक का। 17 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान का उद्यापन के दिन भगवती माँ अन्नपूर्णा की धान की बालियों से श्रृंगार होगा। मां के गर्भ गृह समेत मंदिर परिसर को सजाया जाएगा और प्रसाद स्वरूप धान की बाली 8 दिसंबर को सुबह से मंदिर बंद होने तक आम भक्तों में वितरण किया जायेगा।
मान्यता यह भी है की पूर्वांचल के बहुत से किसान अपनी फसल की पहली धान की बाली मां को अर्पित करते है और उसी बाली को प्रसाद के रूप में दूसरी धान की फसल में मिलाते हैं। वे मानते है कि ऐसा करने से फसल में बढ़ोतरी होती है। Annapurna Temple
महंत शंकर पूरी ने कहा माता अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन दैविक, भौतिक का सुख प्रदान करता है और अन्न-धन, सुख शांति की कमी जीवन पर्यन्त नहीं होती है।
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