BNP NEWS DESK। Earth Commission धरती को सुरक्षित रखने के आठ में से सात उपाय विफल हो चुके हैं। इससे पूरी दुनिया के लोगों की सेहत और कई प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में हैं। पृथ्वी आयोग द्वारा जारी एक नए शोध पत्र में यह दावा किया गया है। इस अध्ययन को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
इन सात उपायों में पृथ्वी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ने से रोकना, कार्यात्मक अखंडता, सतह के जलस्तर का उपयोग, भूजल स्तर घटने से रोकना, नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस का सीमित उपयोग और एरोसोल का कम उत्सर्जन शामिल हैं। दुनिया की लगभग 52 फीसदी भूमि पर अतिक्रमण करके दो या उससे अधिक उपायों का उल्लंघन किया जा रहा है, जिससे दुनिया की कुल आबादी का 86 फीसदी हिस्सा प्रभावित हुआ है।
भारत सहित दक्षिण एशिया के अन्य देश, यूरोप और अफ्रीका के के साथ-साथ हिमालय की तलहटी इन उपायों के उल्लंघन के हॉटस्पॉट बन गए हैं।
1. पृथ्वी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ने से रोकना
2. कार्यात्मक अखंडता
3. सतह के जलस्तर का उपयोग
4. भूजल स्तर घटने से रोकना
5. नाइट्रोजन का सीमित उपयोग
6. फॉस्फोरस का सीमित उपयोग
7. एरोसोल का कम उत्सर्जन
8. पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से रोकना
- 52 फीसदी भूमि पर अतिक्रमण करने से 86 फीसदी आबादी प्रभावित।
- भारत सहित दक्षिण एशिया के कई देश, यूरोप, अफ्रीका और हिमालयी क्षेत्र इन उपायों के उल्लंघन के हाटस्पॉट बन गए हैं।
42 लाख लोगों की मौत की आशंका
वायु प्रदूषण के लिए भी इन उपायों का उल्लंघन जिम्मदार है। इसके चलते दुनिया भर में करीब 42 लाख लोगों की मौत की आशंका है। वहीं, इसका उच्च स्तर भारतीय मानसून को प्रभावित कर सकता है।
मानवीय गतिविधियों से सबसे ज्यादा खतरा
पृथ्वी आयोग ने पहली बार वैश्विक स्तर पर जलवायु, जीवमंडल, ताजे पानी, पोषक तत्वों और वायु प्रदूषण कम करने के लिए उपायों का एक सेट विकसित किया है, इसे ‘सुरक्षित और न्यायपूर्ण पृथ्वी प्रणाली सीमाएं’ शीर्षक दिया गया है। ये पृथ्वी के प्रमुख घटकों वायुमंडल, जलमंडल, भूमंडल, जीवमंडल और क्रायोस्फीयर और उनकी आपस में जुड़ी प्रक्रियाओं कार्बन, पानी और पोषक चक्र पर निर्भर करते हैं। इन्हें मानवीय गतिविधियों से सबसे ज्यादा खतरा है और ये भविष्य के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
सिर्फ एक उपाय का नहीं हुआ उल्लंघन
शोध पत्र की माने तो अभी एआठवां उपाय मौजूद है जिसका उल्लंघन नहीं किया गया है। इसमें धरती के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि को रोकना शामिल है। पृथ्वी आयोग का कहना है कि जलवायु से जुड़े उपायों का उल्लंघन रोकना हिममंडल और जैवमंडल में होने वाली गतिविधियों पर आधारित है। धरती का औसत तापमान 1 डिग्री सेल्सियस पहले ही बढ़ चुका है। यह 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर जलवायु प्रतिक्रियाओं पर नकारात्मक असर डालेगा।
The Review
Earth Commission
धरती को सुरक्षित रखने के आठ में से सात उपाय विफल हो चुके हैं। इससे पूरी दुनिया के लोगों की सेहत और कई प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में हैं।
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