वाराणसी के खादी संस्थाओं में पश्मीना के विविध उत्पादों की बिक्री की शुरू
बीएनपी न्यूज डेस्क। पहली बार हुआ है कि पश्मीना से बने उत्पादों का निर्माण लेह-लद्दाख और जम्मू कश्मीर क्षेत्र से बाहर वाराणसी में किया जा रहा है
बीएनपी न्यूज डेस्क। आज का दिन वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक है। पहली बार वाराणसी क्षेत्र में स्थित खादी संस्थाओं द्वारा निर्मित पश्मीना उत्पादों की विधिवत बिक्री की शुरूआत की गयी। शुक्रवार से बनारसी पश्मीना बाजार में उपलब्ध है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि पश्मीना से बने उत्पादों का निर्माण लेह-लद्दाख और जम्मू कश्मीर क्षेत्र से बाहर वाराणसी में किया जा रहा है।
वाराणसी में खादी बुनकरों द्वारा बनाए गए पशमीना उत्पादों का शुभारंभ खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना द्वारा शुक्रवार को वाराणसी में किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), स्टाम्प व न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्रालय रविन्द्र जायसवाल एवं जयप्रकाश गुप्ता, सदस्य (मध्य क्षेत्र), खादी और ग्रामोद्योग आयोग भी उपस्थित रहे।
अभी तक पश्मीना ऊन से बने उत्पाद केवल लेह-लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर की देन के रूप में जाने जाते थे। पश्मीना ऊन लद्दाख में पायी जाने वाली एक विशेष प्रकार की भेड़ के बालों से तैयार किये जाते है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अथक प्रयास के कारण एक विशेष क्षेत्र में उत्पादित होने वाले पश्मीना ऊन से बने उत्पाद अब वाराणसी व उसके आस-पास के क्षेत्र की खादी संस्थाओं के माध्यम से उत्पादित किए जा रहे है। पश्मीना ऊन की कताई लेह-लद्दाख के कतीनों द्वारा तथा बुनाई वाराणसी व उसके आस-पास क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा की जा रही है। वाराणसी में निर्मित पशमीना उत्पादों के विधिवत शुरुआत से पहले, 4 मार्च को वाराणसी के बुनकरों द्वारा बनाए गए 2 सर्वप्रथम पशमीना शॉल खादी आयोग के अध्यक्ष सक्सेना द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किए गए थे।
वाराणसी में पशमीना के उत्पादन का मुख्य उद्देश्य रोजगार का सृजन है और साथ ही वाराणसी के बुनकरों की उत्कृष्ट कला में और विविधता लाना है, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना है। खादी के इस नए और नायाब प्रोडक्ट को लांच करते हुए खादी आयोग के अध्यक्ष सक्सेना ने अपने अनुभव को काव्यात्मक अंदाज में पेश किया, “जिस तरह फूलों की खुशबू, या महक का, कोई रंग नहीं होता, वो महज खुशबू होती है, बहते हुए पानी के झरने का या ठंडी हवाओं का, कोई घर, गाँव या कोई वतन नहीं होता, जिस तरह उभरते हुए सूरज की किरणों, या किसी मासूम बच्चे की मुस्कुराहट का, कोई मजहब नहीं होता, उसी तरह खादी का धागा कुदरत की तखलीक का एक करिश्मा है, क्योंकि इसको बनाने वाला न किसी एक मजहब, न किसी एक प्रांत, ना किसी एक जाति से जुड़ा होता है। वो महज खादी का एक कारीगर होता है।“ सक्सेना ने बताया कि पश्मीना ऊन के उत्पादों का निर्माण वाराणसी व उसके आस-पास के क्षेत्रों में किया जाना खादी जगत के लिए एक गौरवशाली पल है। उन्होंने कहा कि पश्मीना इस ऐतिहासिक कदम से लेह-लद्दाख के कत्तिनों एवं वाराणसी क्षेत्र के बनुकरों को इसका लाभ मिलेगा। “पश्मीना ऊन से क्षेत्र में बने उत्पाद पूरी तरह से शुद्ध होगें तथा इनमें दूसरे धागों का मिश्रण नहीं किया जाएगा। वाराणसी क्षेत्र में निर्मित उत्पादों को आयोग पूरे देश में अपने विभागीय खादी भवन तथा संस्थाओं के खादी भवनों के अतिरिक्त ऑनलाइन माध्यमों से बिक्री की सुविधा उपलब्ध करायेगा,” श्री सक्सेना ने कहा।
इस अवसर पर लेह लद्दाख से आई कत्तिन सेरिंग चोरोन और सोनम अंगमा और वाराणसी और आस- पास के क्षेत्रों से आए बुनकर अंसार, रियाजुल हक, वकील अहमद, मो. शफीक, मुज़म्मिल हसन, शमशुद्दीन, वाज़िहुल हसन, सबिहुल हसन, आजाद, आमिर हसन, नजीबुल हसन, इम्तियाज़ अहमद, अख्तर, रसीद सैफुद्दीन, इमरान एवं निसार, आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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