BNP NEWS DESK। Sai statue ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामि अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती 1008 ने काशी के सनातनी मन्दिरों से चांद मियां की प्रतिमा को हटाने को शास्त्रसम्मत व सराहनीय कार्य बताया है। साथ ही सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा की गिरफ्तारी पर रोष व्यक्त किया है।
Sai statue ज्ञातव्य है कि इस समय काशी के परम्परागत सनातनी मन्दिरों से इस समय चांद मियां साईं के विग्रह को हटाया जा रहा है। इस सुकृत्य का स्वागत करते हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि सनातनी मन्दिरों में पुजारियों व प्रबन्धकों की नासमझी, लापरवाही व शिथिलता से लोभ, भय अथवा अन्यान्य कारणों से ऐसी मूर्तियाँ स्थापित कर दी गईं जिनका सनातन धर्मशास्त्रों में न तो उल्लेख है, न तो कोई उनकी पूजा की विधि है और न ही सनातनधर्मियों को उनसे किसी भी प्रकार की प्रेरणा मिलती है।
कहा कि इस तरह के सनातन धर्म विरोधी कार्य से अपने सनातन धर्म के मन्दिरों को मुक्त कराने के लिए, परिसर में पुनः पवित्र वातावरण बनाने के लिए जागरुकता कुछ लोगों में आई। विशेष करके तब जब ये पता चला कि तिरुपति बालाजी जी मन्दिर से जो प्रसाद बांटा जा रहा था व लोगों को खरीदने पर मिल रहा था उसमें बहुत बड़ी मात्रा में बहुत लम्बे समय तक अखाद्य पदार्थ मिलाए जा रहे थे। ऐसे में शुद्धि के प्रति लोगों में मन मे भावना जागृत हुई। Sai statue
सनातनी मन्दिरों के परिसर में ये जो अशुद्धियों आ गई हैं इनको भी दूर किया जाना चाहिए
तब उन्होंने सोचा कि हमारे सनातनी मन्दिरों के परिसर में ये जो अशुद्धियों आ गई हैं इनको भी दूर किया जाना चाहिए और इसके लिए कुछ लोग खड़े हुए। ब्राह्मण सभा, सनातन धर्म रक्षक दल व अन्य ऐसी ही कई संस्थाओं के नाम हमको बताये गये और उन लोगों ने साईं की प्रतिमा सनातनी मन्दिरों से हटाने का सराहनीय कार्य किया।
उन लोगों ने कुछ मन्दिरों के लोगों से बात की और वहाँ के लोग भी तैयार हुए। तब बनी सहमति के आधार पर ऐसे जो प्रदूषक तत्व थे, मूर्ति थी उनको हटा दिया गया। ये काशी में एक अच्छा कार्य हो रहा था। हमको भी लोगों ने बताया था तो हमने कहा कि ये अच्छा कार्य है, अभिनन्दनीय है। ऐसे में अब पता चला है कि ऐसा उत्तम सनातनधर्मानुरूप जो कार्य था, मन्दिरों के परिष्कार का कार्य था, अशुद्धि को दूर करने का कार्य था उस कार्य में लगे लोगों में से एक पं अजय शर्मा जी को पुलिस ने किन्ही लोगों की शिकायत पर शान्ति भंग की आशंका में गिरफ्तार कर लिया है और दूसरी अनेक धाराएं भी लगाई हैं। Sai statue
वाराणसी प्रशासन के द्वारा ऐसा कार्य किया गया है। हम यही नही समझ पाते हैं कि अगर हम अपने मन्दिरों में कोई शुद्धि कर रहे हैं, परिष्कार कर रहे हैं तो उसमें लोगों को क्या आपत्ति हो सकती है? जो लोग ये कार्य कर रहे थे उन्होंने स्पष्टता के साथ कहा है कि अगर कोई किसी का भक्त है तो वो उनका अलग मन्दिर बनाए उसमें उसकी पूजा करे।
हालांकि मन्दिर तो सनातनी देवताओं का होता है। लेकिन फिर भी इतने तक तैयार हैं कह रहे हैं अलग मन्दिर बना लें और अपने स्वयं पूजा करें तो जब इतनी बात कही जा रही है अपमान किसी का किया नही जा रहा है। कोई मूर्ति तोड़कर फेंकी नही जा रहा है।जब वहाँ से हटाया जा रहा तब उसे ढंक कर आदरपूर्वक हटाया जा रहा है ताकि किसी की भावना को ठेस न लगे। ये भी मीडिया में बात आई है कि उनको गंगा में प्रवाहित किया गया। गंगा में प्रवाहित करने का मतलब यह ही कि इस बात का ध्यान रखा गया कि कहीं कूड़े-कचरे में न फेंका जाए ताकि लोगों की भावना आहत न हो। Sai statue
जब हम अपने सनातनधर्म का मन्दिर परिष्कृत कर रहे हैं और उसमें आए हुए अपशिष्ट को (हम तो यही कहेंगे) सम्मान के साथ विदा कर रहे हैं। उसके बाद भी कोई कह रहा है कि अशान्ति हो रही है तो यह बड़ा आश्चर्य है। जिस काशी में जाने कितने मन्दिरों को तोड़ करके वहाॅ पर लोग चढ़े बैठे हुए हैं उससे अशान्ति नहीं हो रही है और जब हम अपने मन्दिर का परिष्कार कर रहे हैं तो उससे अशान्ति हो जाएगी।
क्या हिन्दू कुछ भी अपने धर्म के लिए करे उसमें अशान्ति हो जाती है
आगे कहा कि जब हम अपने पूज्यपाद गुरुदेव की आज्ञा से जो काशी में शिवलिंग प्रकट होने पर उसकी पूजा करने जा रहे थे तो हमको वहाँ के प्रशासन ने रोक दिया कि अशान्ति होगी। दुबारा हम परम्परा के अनुसार जब उस परिसर की परिक्रमा करने जा रहे थे तब भी हमें रोक दिया गया क्योंकि अशान्ति हो रही थी तो हम पूछना चाहते हैं कि क्या हिन्दू कुछ भी अपने धर्म के लिए करे उसमें अशान्ति हो जाती है और बाकी लोग जो चाहे करें उसमे कोई अशान्ति समाज में नहीं होती है? ये जो परिभाषा निकलकर धीरे-धीरे सामने आ रही है ये समझ से बाहर है। इसमें अपने को विचार करना पड़ेगा और हिन्दुओं को भी तत्पर होना पड़ेगा। आखिर ये क्या है और प्रशासन को केवल अशान्ति हिन्दुओं से है?
Sai statue अभी सबसे पहले तो आवश्यक है कि एक व्यक्ति जो सनातन धर्म का ही अंग है, एक संस्था जो हमारे सनातन धर्म का ही अंग है और उस व्यक्ति संस्था द्वारा वो कार्य किया जा रहा था जो सचमुच सनातनधर्मियों द्वारा कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन उसको करने वाले को धारा लगाकर पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है तो हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि हम उस व्यक्ति उस संस्था के साथ खड़े हों एक सनातनधर्मी होने के नाते और इसीलिए हम उस संस्था व व्यक्ति के साथ खड़े हैं।
हम सनातनधर्मियों को खड़े होकर अजय शर्मा जी के लिए जो कानूनी मदद हो वो करनी चाहिए
Sai statue हम ये नही कह रहे हैं कि अशान्ति मचाई जाए हम ये भी नहीं कह रहे हैं कि कोई उपद्रव किया जाए। लेकिन ये जरूर कह रहे हैं कि इस समय हम सनातनधर्मियों को खड़े होकर अजय शर्मा जी के लिए जो कानूनी मदद हो वो करनी चाहिए। अच्छे से अच्छे वकील खड़ा करना चाहिए ताकि अजय शर्मा जी पुलिस के बन्धन से मुक्त हो सकें। बिना कारण उनको जेल न भेजा जाए, उनका जमानत करा किया जाए और उनका मुकदमा हम लोग कानून की परिधि में रहकर दृढ़ता से लड़ेंगे।
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जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामि अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती 1008 ने काशी के मन्दिरों से प्रतिमा को हटाने काे सराहनीय कार्य बताया है
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