BNP NEWS DESK । protein supplement भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारतीयों के लिए संशोधित आहार दिशानिर्देश जारी करते हुए शारीरिक गठन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने का अनुरोध किया है। साथ ही नमक का सेवन सीमित करने, शर्करा तथा अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल में कमी लाने और खाद्य लेबल पर लिखी जानकारी पढ़ने को कहा है। आईसीएमआर का कहना है कि एक अनुमान के अनुसार देश में 56.4 प्रतिशत बीमारियां गलत खानपान की वजह से होती हैं।
protein supplement शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय के अंतर्गत कार्य करने वाले हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने बुधवार को भारतीयों के लिए जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने और गैर-संचारी रोगों (नान कम्यूनिकेबल डिजीज- एनसीडी) को रोकने से संबंधी संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए।
17 दिशानिर्देश
संबंधित दिशा-निर्देशों का मसौदा आईसीएमआरर-एनआईएन की निदेशक डा. हेमलता आर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार किया गया है और यह कई वैज्ञानिक समीक्षाओं से गुजरा है। इसमें 17 दिशानिर्देश हैं।
शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन का पांच प्रतिशत से कम होना चाहिए
दिशा-निर्देशों में एनआईएन ने कहा कि बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर का लंबे समय तक सेवन अस्थि खनिज की हानि और गुर्दे की क्षति जैसे संभावित खतरों से जुड़ा है। इनमें यह भी कहा गया है कि शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन का पांच प्रतिशत से कम होना चाहिए तथा संतुलित आहार में अनाज तथा मोटे अनाज से 45 प्रतिशत तथा दालों, फलियों तथा मांस से 15 प्रतिशत से अधिक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए।
दिशा-निर्देशों में कहा गया कि शेष कैलोरी मेवा, सब्जियों, फलों और दूध से लेनी चाहिए। इनमें कहा गया कि कुल वसा का सेवन 30 प्रतिशत ऊर्जा से कम या उसके बराबर होना चाहिए। एनआइएन ने कहा कि दालों और मांस की सीमित उपलब्धता तथा उच्च लागत के कारण भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनाज पर बहुत अधिक निर्भर है और इसके परिणाम स्वरूप आवश्यक महत्वपूर्ण पोषक तत्वों (आवश्यक अमीनो एसिड और आवश्यक फैटी एसिड) तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों का सेवन कम हो पाता है।
आवश्यक पोषक तत्वों का कम सेवन चयापचय (मेटाबोलिजम) प्रक्रिया को बाधित कर सकता है और कम उम्र से ही इंसुलिन प्रतिरोध तथा संबंधित विकारों का खतरा बढ़ा सकता है।
इसमें कहा गया है कि स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि से कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) तथा उच्च रक्तचाप (एचटीएन) का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है और टाइप 2 मधुमेह को 80 प्रतिशत तक रोका जा सकता है।
शर्करा और वसा से युक्त अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन में वृद्धि, कम शारीरिक गतिविधि और विविध खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के चलते सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और मोटापे की समस्या बढ़ जाती है। एनआइएन ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर समय से पहले होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा टाला जा सकता है।
The Review
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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारतीयों के लिए संशोधित आहार दिशानिर्देश जारी करते हुए शारीरिक गठन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने का अनुरोध किया है।
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