बीएनपी न्यूज डेस्क। राष्ट्रपति चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रही है, वैसे भी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों के नाम पर भी चर्चा तेज हो गई है। विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया गया है। मंगलवार को दिल्ली में NCP प्रमुख शरद पवार के आवास पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में यशवंत सिन्हा के नाम को मंजूरी दी गई। TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव रखा था।
अटल की सरकार में मंत्री रह चुके हैं यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भाजपा में उनकी पटरी नहीं जमी और समय-समय पर पार्टी हाईकमान पर ही निशाना साधते रहे। ऐसे में भाजपा में यशवंत सिन्हा पूरी तरह से साइड लाइन हो गए थे। साल 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पहले यशवंत सिन्हा ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी। यशवंत सिन्हा को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक टीएमसी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
राष्ट्रपति चुनाव प्रत्याशी को लेकर ये बोले यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि TMC में मुझे जो सम्मान दिया, उसके लिए मैं ममता जी का आभारी हूं। अब समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी के बाहर अधिक से अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए।
विपक्ष में इन नामों पर भी हुई थी चर्चा
इससे पहले दिल्ली में शरद पवार के आवास पर हुई बैठक से पहले एक तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित विपक्षी उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव करने के लिए कुछ दलों सामने आए थे। आपको बता दें कि 15 जून को तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली में विपक्ष की बैठक बुलाई थी, जिसमें विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर सर्वसम्मति से शरद पवार का नाम प्रस्तावित किया गया था, लेकिन शरद पवार ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा ममता बनर्जी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के नामों को को भी प्रस्तावित किया था, लेकिन दोनों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
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