BNP NEWS DESK। Power Crisis उत्तर भारत के अधिकांश शहरों में मार्च, 2023 के पहले हफ्ते में ही पंखे और एसी के स्विच आन हो गये हैं। यह इस बात का संकेत है कि मार्च माह के अंत तक या अप्रैल माह में बिजली की मांग पिछले वर्षों के मुकाबले काफी बढ़ सकती है। ऐसे में सरकार के स्तर पर भी सतर्कता बढ़ती दिख रही है।
Power Crisis पिछले मंगलवार को बिजली मंत्री आर के सिंह ने देश में बिजली की आपूर्ति, मांग और इससे जुड़े दूसरे हालातों की उच्चस्तरीय समीक्षा की। इसमें ताप बिजली घरों को कोयला की आपूर्ति बढ़ाने, बंद पड़े कुछ गैस आधारित बिजली संयंत्रों को शुरू करने, पनबिजली संयंत्रों को पानी का बेहतर इस्तेमाल कर ज्यादा उत्पादन करने जैसे मुद्दों की समीक्षा की गई है।
आयातित कोयले वाले संयंत्रों को 16 मार्च तक पूरा उत्पादन करने का निर्देश
Power Crisis बैठक में कोयला मंत्रालय और रेल मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे। इन दोनो मंत्रालयों को कहा गया है कि कोयला आपूर्ति बढ़ाने के साथ ही समय पर संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने का काम भी तेज किया जाए।
आयातित कोयला पर आधारित बिजली संयंत्रों को कहा गया है कि उन्हें हर स्थिति में 16 मार्च, 2023 से पूरी क्षमता से काम करना होगा। यह निर्देश बिजली अधिनियम की धार-11 के तहत दी गई है। पिछले वर्ष जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत काफी ज्यादा थी तो उक्त श्रेणी के संयंत्रों ने उत्पादन सीमित कर दिया था। इससे देश में 10 हजार मेगावाट कम बिजली की आपूर्ति हुई थी।
बैठक में ताप बिजली संयंत्रों को निर्देश दिया गया है कि वह अप्रैल माह से पहले ही अपने संयंत्रों के मरम्मत आदि का काम कर लें ताकि जब बिजली की मांग बहुत बढ़ जाए तब वो ज्यादा उत्पादन के लिए तैयार रहें। सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि 08 मार्च, 2023 को कुल 76,240.22 मेगावाट क्षमता के ताप बिजली संयंत्र किसी ना किसी वजह से बंद है। इसमें 15,986 मेगावाट क्षमता का योजनागत रख-रखाव के लिए बंद किया गया है।
अप्रैल में बिजली की मांग 2.29 लाख मेगावाट होने की संभावना
रेलवे बोर्ड ने आश्वस्त किया है कि कोयला ढुलाई के लिए कुल 418 रैकों की उपलब्धता रोजाना सुनिश्चित की जाएगी। जरूरत पड़ने पर कोयला रैक की संख्या और बढ़ाने का भी आश्वासन दिया गया है। बैठक में गैस आधारित बिजली संयंत्रों की स्थिति पर भी चर्चा की गई।
एनटीपीसी को कहा गया है कि वह अप्रैल व मई माह में कम से कम पांच हजार मेगावाट क्षमता की गैस आधारित संयंत्र को चालू रखे। इसके अलावा चार हजार मेगावाट क्षमता की गैस बिजली संयंत्रों को और चालू करने की व्यवस्था की जाएगी। देश में 24 हजार मेगावाट क्षमता के गैस बिजली संयंत्र गैस की अनुपलब्धता की वजह से नहीं चल पा रहे। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमत कम हुई है और इससे इन बंद पड़े संयंत्रों को फिर से चालू करने की उम्मीद बढ़ गई है।
मांग और आपूर्ति के बीच सामंजस्य बिगड़ने की आशंका
बिजली मंत्रालय ने कहा है कि इस महीने 2920 मेगावाट क्षमता के ताप बिजली संयंत्र चालू हो रहे हैं जिससे मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। बिजली मंत्री ने सभी कंपनियों को कहा है कि वह यह सुनिश्चित करें कि लोडशेडिंग ना हो और बिजली की मांग को लेकर अपनी निगरानी बढ़ा दें। हाल ही में केंद्रीय बिजली आयोग ने कहा है कि अप्रैल, 2023 में 2.29 लाख मेगावाट बिजली की मांग हो सकती है। जबकि 08 मार्च, 2023 को देश में 2.13 लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ है।
समय से पहले गर्मी की शुरुआत से मांग और आपूर्ति के बीच सामंजस्य बिगड़ने की आशंका है। वैसे कोयला मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि देश के पास तात्कालिक तौर पर 10 करोड़ टन कोयला उपलब्ध है। इसमें से 3.1 करोड़ टन कोयला संयत्रों के पास है जबकि 6.4 करोड़ टन कोयला खदानों के पास ढुलाई के इंतजार में है। 60 लाख टन रास्ते में है।
दूसरी तरफ ताप बिजली घरों को रोजाना 23 लाख कोयला चाहिए। इस हिसाब से दावा है कि बिजली संयंत्रों के पास 44 दिनों का कोयला उपलब्ध है। इसके अलावा रोजाना कोयला कंपनियां 33 लाख टन कोयला निकाल रही हैं।
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Power Crisis उत्तर भारत के अधिकांश शहरों में मार्च, 2023 के पहले हफ्ते में ही पंखे और एसी के स्विच आन हो गये हैं।
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