BNP NEWS DESK। PFI वाराणसी में पकड़े गए पीएफआई सदस्यों की साजिश बेहद खतरनाक थी। वह ज्ञानवापी के संवेदनशील मामले को मुद्दा बनाकर शहर की शांति भंग करना चाहते थे। मस्जिद के लिए चंदा इकट्ठा करने, उसे कैसे बचाया जाए व इस्लामिक स्टेट स्थापित करने का षड्यंत्र रचने का इन पर आरोप है।
PFI एटीएस की पूछताछ में सामने आया कि समुदाय विशेष के लोगों को भड़काते थे कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तरह ज्ञानवापी को हाथ से नहीं जाने दिया जाएगा। ज्ञानवापी की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाएगी।बीते आठ महीने में पीएफआई के पांच सदस्य वाराणसी से गिरफ्तार किए जा चुके हैं। सितंबर 2022 में सबसे पहले आदमपुर और जैतपुरा क्षेत्र से साड़ी तैयार करने का काम करने वाले शाहिद और रिजवान को गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद सितंबर महीने में ही लोहता क्षेत्र के अलावल से अब्दुल्ला सऊद अंसारी गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद परवेज और रईस को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी पीएफआइ के मैसेज को समय-समय पर अपने समाज के युवाओं में प्रचारित और प्रसारित करते थे। सीएए व एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के समय भी गोपनीय तरीके से लोगों को भड़काने का काम किया था। कोर्ट में शृंगार गौरी मामले की सुनवाई का आदेश आने पर नाराजगी जताई थी।
एटीएस के अनुसार, परवेज और रईस पीएफआई के सक्रिय नेताओं के संपर्क में थे। दोनों यूपी के अलावा दिल्ली, असम और केरल में होने वाली पीएफआई की बैठकों में शामिल होकर प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। इसके बाद वाराणसी और आसपास के जिलों में पीएफआई के कैडर विस्तार के लिए मुस्लिम युवाओं को प्रेरित करते थे।
इसके अलावा दोनों पीएफआई से जुड़े साहित्य व अन्य सामग्री का प्रचार-प्रसार और वितरण भी करते थे। लोहता क्षेत्र के अलावल से अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बाद दोनों लोकेशन बदल कर भूमिगत रह रहे थे। इन सभी में अब्दुला सबसे ज्यादा ट्रेंड है। वह नौजवानों को बरगलाकर देश विरोधी गतिविधियों में लगाना चाहता था।
दंगे भड़काना और चर्चित लोगों पर हमले कराने की साजिश रच रहा था। इसके लिए वह हर हथकंडा अपना रहा था। पकड़े जाने के बाद अब्दुल्ला सऊद को लोहता थाने लाया गया था। पुलिस के साथ इंटेलिजेंस ने भी उसके नेटवर्क और इरादों को जानने के लिए पूछताछ की। देर तक वह इधर-उधर की बातें करता रहा लेकिन कड़ाई करने पर टूट गया।
बताया कि उसने केरल में पीएफआइ का नौ दिन का कैंप किया था। इसमें हथियार चलाना सीखा। पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों से बचने के तरीके और किसी सदस्य के पकड़े जाने पर कानूनी मदद कैसे ली जाए इसकी जानकारी ली। लखनऊ में भी दो बार पीएफआई का कैंप किया था।
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PFI वाराणसी में पकड़े गए पीएफआई सदस्यों की साजिश बेहद खतरनाक थी। वह ज्ञानवापी के संवेदनशील मामले को मुद्दा बनाकर शहर की शांति भंग करना चाहते थे।
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