BNP NEWS DESK। Dharmanath Mishra 2011 में भातखंडे संस्थान से सेवानृवित्त होने के बाद अभी भी सक्रिय सरल और सहज गुरु के साथ ही उत्तम कोटि के संगतकर्ता पं. धर्मनाथ मिश्र से शिष्य आज भी गायन व वादन सीखते हैं। भातखंडे संस्थान से करीब 13 वर्ष पहले सेवानिवृत्त पं. मिश्र आज भी साधनारत हैं।
Dharmanath Mishra केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिए उनका चयन होने पर बात हुई तो भी वह सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने की तैयारी में थे।
प्रसिद्ध हारमोनियम वादक पंडित धर्मनाथ मिश्र को वर्ष 2022 का केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
वाराणसी निवासी पं. मिश्र की सांगीतिक यात्रा पांच वर्ष की आयु में शुरू हुई थी। बनारस घराने के पं. मिश्र पांचवीं पीढ़ी के गुरु हैं। उन्होंने पं. विश्वनाथ मिश्र, पं.बड़े रामदास, पं. गणेश प्रसाद मिश्र से शिक्षा ग्रहण की। वह 1972 में कथक केंद्र में शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए।
यहां 1976 तक तैनात रहे। 1977 में भातखंडे संगीत संस्थान (अब भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय) में नियुक्त होने के बाद 2011 में वरिष्ठ प्रवक्ता गायन पद से सेवानिवृत्त हुए।
पंडित धर्मनाथ मिश्र ऐसे कलाकार हैं जो विख्यात गायक-गायिकाओं संग हारमोनियम पर संगत करने के साथ कथक या दूसरे कार्यक्रमों में गायन का भी दायित्व निभाते हैं। उन्हें वर्ष 1999 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी अवार्ड व 2018 में बेगम अख्तर पुरस्कार भी मिल चुका है।
पं. मिश्र का नाम पुरस्कार के लिए चयनित होने पर भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार ने भी गर्व जताया। संस्थान के शिक्षक डा. कमलेश दुबे ने कहा कि यह उनकी योग्यता का सम्मान होगा।
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Dharmanath Mishra
2011 में भातखंडे संस्थान से सेवानृवित्त होने के बाद अभी भी सक्रिय सरल और सहज गुरु के साथ ही उत्तम कोटि के संगतकर्ता पं. धर्मनाथ मिश्र से शिष्य आज भी गायन व वादन सीखते हैं।
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