बीएनपी न्यूज डेस्क। अखण्ड भारत की आजादी और देशप्रेम के प्रकट राष्ट्रदेवता सुभाष चन्द्र बोस का विश्व का पहला और इकलौता मंदिर लमही के इन्द्रेश नगर में प्रतिष्ठित है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पर विशाल भारत संस्थान ने सुभाष भवन और सुभाष मंदिर में विशेष पूजा का कार्यक्रम आयोजित किया। सुभाष अब केवल महानायक नहीं रहे, बल्कि दुनियांभर के सुभाषवादी उन्हें राष्ट्रदेवता के रूप में पूजते हैं। सुभाष मंदिर में केवल 23 जनवरी को भीड़ नहीं लगती, बल्कि सुबह–शाम आरती, भारत माता की प्रार्थना एवं विधिवत पूजा की जाती है। सुभाष मंदिर में दर्शन करने वालों की भी भीड़ लगती है और गर्भवती महिलाएं सुभाष का दर्शन कर अपने बच्चों को देशभक्त बनाने की कामना करती हैं। लाल रंग की सीढ़ी क्रांति का प्रतीक है, सफेद रंग का चबूतरा शांति का प्रतीक है, काले ग्रेनाइट की सुभाष की प्रतिमा शक्ति का प्रतीक है और सुनहरा छत्र समृद्धि का प्रतीक है। नेताजी सुभाष की प्रतिमा को गौर से देखें तो उनके हाथ में अखण्ड भारत का नक्शा है जिसे हर भारतवंशी प्राप्त करना चाहता है।
नेताजी सुभाष के प्रकट उत्सव को मनाने के लिए सनातन धर्म के सिर्फ धर्म के शीर्ष धर्मगुरूओं काशी और अयोध्या महंतों एवं संतों के साथ 11 वैदिक ब्राह्मणों ने सुभाष मंदिर को वैदिक मंत्रों से गुंजायमान कर दिया। 21 मठों के मठाधीशों ने सुभाष की पूजा कर देश प्रेम को धर्म से ऊपर होने का संदेश दिया।
सुभाष महोत्सव के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास, सुभाष मंदिर की पुजारी खुशी रमन भारतवंशी एवं सुभाष मंदिर के संस्थापक डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने 30 किलो के फूलों का हार नेताजी सुभाष को समर्पित किया। जैसे ही फूलों का हार गले में डाल जा रहे था, वैदिक मंत्रों से वातावरण गूंज उठा। पंडित श्रीराम शास्त्री ने विधि विधान से पूजन कराया। आजाद हिन्द सरकार के राष्ट्रगान ‘शुभ सुख चैन की बरखा बरसे’ गाकर अखण्ड भारत की सीमाओं की पुनर्वापसी तक संघर्ष करने का संकल्प और सुभाष की कसम ली गयी। देशभक्ति संगीत से सुभाष भवन का नजारा ऐसा बना, जैसे हम आजादी के दौर में सुभाष को चलते फिरते महसूस कर रहे हों।
विशाल भारत संस्थान ने आज ऐतिहासिक फैसला करते हुए राष्ट्रदेवता सुभाष चन्द्र बोस के विचारों को धरातल पर प्रतिस्थापित किया। अपने पूर्वजों की परम्पराओं के अनुसार काम करने वाली 125 जातियों के लोगों को शॉल, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। नेताजी सुभाष धर्म जाति क्षेत्र भाषा से हमेशा ऊपर रहे हैं। देश के प्रत्येक हिस्से में सुभाष के प्रति लोगों की गहरी आस्था है।
125 लोगों में 21 मठों के मठाधीश, धर्माचार्य शामिल थे इनमें प्रमुख रूप से अयोध्या के शम्भु देवाचार्य, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत महावीर दास, महंत सर्वेश्वर शरण दास, महंत श्रवण दास, महंत उमेश दास, महंत अवध किशोर दास, कोतवाल विजय राम दास आदि थे।
पत्रकारिता के क्षेत्र नेताजी सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार 2022 से वरिष्ठ पत्रकार स्नेह रंजन को एवं गौ सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले रायपुर छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता अंकित द्विवेदी को मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने सम्मानित किया। अजय भाई को देश सेवा सम्मान मिला।
अपने पूर्वजों का काम करने वाली माली, मुसहर, गड़ेरिया, नोनियां, सैनी, दुसाध, पासी, पठान, धुनियां, किन्नर, नट, डोम, कुर्मी, सोनकर, बिन्द आदि 125 जातियों के लोगों को विशाल भारत संस्थान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस देश सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।
पंडित गोपाल त्रिपाठी ने सुभाष चन्द्र बोस पर बने गीत को गाकर सबका मन मोह लिया बच्चों ने सुभाष कथा का मंचन किया और ‘कदम कदम बढ़ाए जा खुशी के गीत गाए जा यह जिंदगी है कौम की दूकान पर लुटाए जा’ गीत पर मार्च पास किया गया। नजारा सुभाषमय था, चारों तरफ सुभाष दिख रहे थे।
मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने कहा कि आज कांग्रेस को शर्म आ रही होगी कि यह सुभाष बाबू को 1945 में दरकिनार कर दिया। आज वह राष्ट्रदेवता के रूप में पूजे जा रहे हैं। सारे भारतवासियों का सर सुभाष के सामने नतमस्तक है। हर भारतवासी आजादी के लिए सुभाष का ऋणी है। तभी तो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष की प्रतिमा लगाकर देश को सम्मान दिलाया। पहली बार देश ने अपने महानायक को पूर्ण सम्मान दिया है।
विशाल भारत संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि 2023 से नेताजी सुभाष के नाम पर 21000 रूपये का नगद पुरस्कार देश सेवा करने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाएगा। सुभाष भवन की स्थापना असम, नागालैंड और उड़ीसा में की जाएगी। नेताजी के नाम पर बनने वाले सुभाष भवन में सभी धर्म जातियों के लोग एक साथ रहेंगे, जैसे काशी के सुभाष भवन में रहते हैं।
इस कार्यक्रम में डा० निरंजन श्रीवास्तव, दिनेश चौधरी, ज्ञान प्रकाश, तपन कुमार घोष, दिलीप सिंह, अंजलि यादव, शिवेन्द्र सिन्हा, राकेश श्रीवास्तव, कुंअर नसीम रजा खान, चुन्नू साई जी, अर्चना भारतवंशी, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, डा० मृदुला जायसवाल, संजु गोड, निधि राय, लक्ष्मी, अल्का, रिद्धि शाह, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, धनंजय यादव, अनूप कुमार गुप्ता भारतवंशी, धर्मेन्द्र नारायण, डी०एन० सिंह, डा० भोलाशंकर आदि सैकड़ों लोग शामिल हुए।
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