BNP NEWS DESK। Juwin Platform हर साल कुत्ते और सांप के काटने से हजारों लोगों की मौत हो जाती है। इसकी प्रमुख वजह जानकारी और इंजेक्शन की उपलब्धता का अभाव है। हालांकि, अब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए एंटी-रैबीज और सांप के जहर से बचाने वाले इंजेक्शन की झटपट उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जूविन डिजिटल प्लेटफार्म विकसित किया है। इससे जरूरतमंद व्यक्ति मोबाइल पर ही आनलाइन पोर्टल से इंजेक्शन की नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में रीयल टाइम उपलब्धता की जानकारी पा सकेगा।
Juwin Platform यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) की तकनीकी सहायता से नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने अपने सेंटर फार वन हेल्थ के जरिये इसे विकसित किया है।
सरकार पहले पायलट प्रोजेक्ट की तरह इसे दिल्ली, मध्य प्रदेश, असम, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश में लान्च करेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कोविन और यूविन की तर्ज पर बना जूविन रैबीज और सांप काटने के इंजेक्शन से जुड़ी सारी जानकारी केंद्रीयकृत रखेगा और स्वास्थ सेवा प्रदाताओं, नगर निगम अधिकारियों और पशु चिकित्सा से जुड़ी सेवाओं के बीच सहयोग को बेहतर करेगा।
जूविन, यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआइपी) के अंतर्गत काम करने वाले इलेक्ट्रानिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क (ईविन) और यूविन प्लेटफार्म के डिजिटल सिस्टम का फायदा उठाएगा, जिनका इस्तेमाल वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए करता है।
अधिकारी ने बताया, ‘जूविन का प्राथमिक लक्ष्य जानवरों और सर्पदंश के पीड़ितों को स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-रैबीज वैक्सीन (एआरवी), एंटी-रैबीज सीरम (एआरएस) और एंटी-स्नेक वेनम (एएसवी) की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है।
इसके लिए एआरवी, एआरएस और एएसवी की रीयल टाइम ट्रैकिंग और फालोअप जरूरी है। यह मंच ग्रामीण और कम सुविधाओं वाले इलाके में इन इंजेक्शन की उपलब्धता वाले स्वास्थ्य केंद्रों का पता लगाने में मदद करेगा। इसका उद्देश्य एंटी-रैबीज वैक्सीनेशन का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के साथ सारे इंजेक्शन लगने का वक्त जानना और समय रहते इनका टीकाकरण तय करना है।”
राजधानी दिल्ली में इन राज्यों के प्रादेशिक स्वास्थ्य अधिकारियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया
बीते 28 मार्च को राजधानी दिल्ली में इन राज्यों के प्रादेशिक स्वास्थ्य अधिकारियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जबकि जल्द ही राज्य-जिला स्तर के अधिकारियों का आनलाइन प्रशिक्षण होगा। बीते वर्ष केंद्र सरकार ने सर्पदंश के विष से बचाव और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना लान्च की थी, जिसमें पूरा जोर सर्पदंश के बचाव, शिक्षा, प्रबंधन पर और लक्ष्य 2030 तक इससे होने वाली मौतों को आधा करने पर था।
नवंबर 2024 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों से सर्पदंश के मामलों और इससे होने वाली मौतों को अधिसूचित बीमारी की श्रेणी में रखने का आग्रह किया था।
यूएनडीपी के अनुसार, प्रतिवर्ष दुनियाभर में रैबीज के चलते 60 हजार लोगों की मौत हो जाती है। अकेले भारत में इससे 36 प्रतिशत यानी 21.60 हजार मौतें हो जाती हैं। जबकि सांप के काटने से देश में प्रतिवर्ष 50 हजार जानें चली जाती हैं।
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