BNP NEWS DESK | Ranking of Schools प्रत्येक अभिभावक की चाहत होती है कि उसके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़े। लेकिन कौन -सा स्कूल अच्छा है यह तय करना अभी उसके लिए मुश्किल होता है। फिलहाल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी) आने के बाद स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने और उसे भरोसेमंद बनाने की दिशा में जुड़े शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर एक अहम कदम उठाया है। जिसके तहत प्रत्येक स्कूल की गुणवत्ता और इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर अब एक रैंकिंग तैयार होगी।
Ranking of Schools जो विश्वविद्यालयों और कालेजों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए जारी होने वाली रैंकिंग की तरह ही होगी। राज्यों के साथ मिलकर इसे लेकर तैयारी शुरू हो गई है। इस साल से इस पूरी व्यवस्था को स्कूली शिक्षा में अमल में लाने की तैयारी है।
शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर तेज की तैयारी
शिक्षा मंत्रालय ने इस बीच इसके लिए कुछ मानक भी तैयार किए है, जिसमें स्कूलों की सुरक्षा, मूलभूल ढांचा, सभी विषयों के कक्षावार शिक्षकों की संख्या, वित्तीय स्थिति, इनोवेशन और प्रैक्टिकल क्लास रूम की संख्या, खिलौनों के जरिए पढ़ाने और रूचिकर शिक्षा देने से जुड़ी पहल, बच्चों के सीखने की क्षमता में सुधार की स्थिति, स्कूलों का परीक्षा परिणाम व प्रशासनिक क्षमता आदि बिंदुओं को शामिल किया है।
रैंकिंग की पूरी व्यवस्था आनलाइन ही होगी
खासबात यह है कि स्कूलों की रैंकिंग की पूरी व्यवस्था आनलाइन ही होगी। जिसमें स्कूलों को ही तय मानकों के तहत जानकारी मुहैया करानी होगी। बाद में इसका थर्ड पार्टी आडिट कराया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस रैंकिंग का अप्रैल तक ऐलान किया जा सकता है। राज्यों के साथ इस पर अमल की तैयारी अंतिम चरण में है।
इसी साल से होना है अमल
देश में मौजूद करीब 15 लाख स्कूलों की रैंकिंग तैयार करना वैसे तो एक चुनौती भरा काम है, लेकिन मंत्रालय इसे लेकर तेजी से आगे बढ़ने में जुटा है। इसके लिए सभी राज्यों को एक स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी ( ट्रिपल एसए) का गठन करने के लिए कहा गया है। जो इस पूरी व्यवस्था पर नजर रखेगी।
करीब 15 लाख स्कूल
इस दौरान स्कूलों की राज्य व जिला स्तर पर रैंकिंग तैयार होगी। इनमें निजी और सरकारी दोनों तरह के स्कूल होंगे। हालांकि राज्यों में मौजूद नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों को इससे अलग रखा गया है। माना जा रहा है कि इस पहल से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार दिखेगा। साथ ही स्कूलों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
देश में मौजूद करीब 15 लाख स्कूलों में से करीब दस लाख सरकारी और करीब साढ़े तीन लाख निजी स्कूल शामिल है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालयों व कालेजों सहित दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता की परख मौजूदा समय में नैक ( नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिएशन काउंसिल) ग्रेड और एनआईआरएफ ( नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क ) रैंकिंग के आधार पर की जाती है।
इसके आधार पर ही उच्च शिक्षण संस्थानों को दूसरी सुविधाएं भी दी जाती है। हालांकि अभी इसमें में सभी उच्च शिक्षण संस्थान नहीं जुड़े है लेकिन मंत्रालय की कोशिश है कि पारदर्शिता के लिए सभी को जोड़ा जाए।
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Ranking of Schools प्रत्येक अभिभावक की चाहत होती है कि उसके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़े। लेकिन कौन -सा स्कूल अच्छा है यह तय करना अभी उसके लिए मुश्किल होता है।
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