BNP NEWS DESK। Badrinath Dham बदरीनाथ धाम में नीलकंठ पर्वत की तलहटी पर शनिवार को एक हिमखंड टूट गया। धाम में मौजूद तीर्थ यात्रियों ने भी यह दृश्य देखा। इसके बाद यह घटना तीर्थ यात्रियों के बीच कौतूहल का विषय बन गई। कुछ तीर्थ यात्रियों ने इसे अपने मोबाइल में भी कैद किया।
Badrinath Dham दोपहर करीब दो बजे बामणी गांव से दो किमी आगे नीलकंठ पर्वत की तलहटी पर बना हिमखंड तेज आवाज के साथ टूट गया। इससे उठा बर्फ का गुबार पर्वत की तलहटी से गुजर रही ऋषि गंगा नदी में समा गया। करीब आधा घंटा तक हिमखंड के हिस्सों का टूटना जारी रहा। इस क्षेत्र में आबादी और मानव गतिविधियां नहीं होने के कारण फिलहाल किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। प्रशासन घटना बारे में विस्तृत जानकारी जुटा रहा है। वहीं, बदरीनाथ धाम में मौजूद श्रद्धालुओं ने हिमखंड टूटते देखा तो रोमांचित हो उठे।
धाम में जारी है बर्फबारी
बदरीनाथ धाम में बर्फबारी का क्रम जारी है। शनिवार को यहां तड़के ही बर्फबारी हुई। दिन में मौसम साफ रहने के बाद शाम को फिर बर्फबारी शुरू हुई, जो रुक-रुककर होती रही। जिले में निचले स्थानों पर दोपहर बाद से रात तक वर्षा होती रही।
हेमकुंड में रोकना पड़ा बर्फ हटाने का कार्य
हेमकुंड साहिब में सुबह मौसम साफ था, लेकिन दोपहर बाद बर्फबारी शुरू हो गई। इसके चलते यहां सेना के जवानों को बर्फ हटाने का कार्य रोकना पड़ा। मौसम साफ होने पर फिर बर्फ हटाना शुरू किया जाएगा।
चारधाम यात्रा: मौसम से तालमेल बिठाने को पड़ावों पर बिताएं कुछ समय
कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा पूर्ण रूप ले चुकी है। चारों धाम के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने से यह यात्रा कई दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है। यहां मौसम पल-पल करवट बदलता है। आक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती है। ऐसे में तबीयत बिगड़ने की आशंका बनी रहती है। यदि आप भी चारधाम यात्रा पर आने की योजना बना रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें।
सबसे महत्वपूर्ण यह कि यात्रा के लिए पर्याप्त समय (सात से दस दिन) निकालकर आएं। धामों तक पहुंचने की जल्दबाजी कतई नहीं करें। पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम के साथ तालमेल बिठाने के लिए यात्रा पड़ावों पर कुछ समय अवश्य बिताएं। बीमारी से ग्रसित और बुजुर्ग तीर्थयात्री स्वास्थ्य परीक्षण कराकर आएं। यात्रा पड़ावों पर भी डाक्टर से परामर्श लेते रहें और उनके सुझावों को टालें नहीं।
आक्सीजन का स्तर सामान्य से कम
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम समुद्रतल से तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं। यहां पर आक्सीजन की कमी महसूस की जाती है। केदारनाथ और यमुनोत्री में यह दिक्कत अधिक है। रुद्रप्रयाग जिले के सीएमओ एचसीएस मर्तोलिया बताते हैं कि केदारनाथ धाम के आसपास वातावरण में आक्सीजन का स्तर 80 प्रतिशत के आसपास रहता है, जबकि सामान्य तौर पर यह 94 प्रतिशत रहना चाहिए। यही स्थिति यमुनोत्री धाम में रहती है। आक्सीजन की कमी के कारण सिर दर्द, सांस लेने में परेशानी, दिल की धड़कन बढ़ने और चक्कर आने की शिकायत रहती है।
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बदरीनाथ धाम में नीलकंठ पर्वत की तलहटी पर शनिवार को एक हिमखंड टूट गया। धाम में मौजूद तीर्थ यात्रियों ने भी यह दृश्य देखा।
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