BNP NEWS DESK। hydrogen ship कोचीन शिपयार्ड कोलकाता से वाराणसी के लिए चला देश का पहला हाईड्रोजन जलयान मंजिल से करीब सौ किलोमीटर दूर फंसा है। वह गाजीपुर में तीन दिन से खड़ा है क्योंकि उसके आगे गंगा में जलयान के अनुकूल पानी ही नहीं है। गाजीपुर में सिर्फ 1.30 मीटर जलस्तर है जबकि बनारस के कैथी के निकट केवल 0.70 मीटर ही पानी है जबकि जलयान के लिए न्यूनतम 1.50 से दो मीटर पानी होना अत्यंत आवश्यक है।
hydrogen ship 25 से 30 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ जाए तो जलयान आगे का सफर तय कर सकेगा। आइडब्ल्यूएआइ (भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण) के हर प्रयास इसलिए भी विफल हो चुके हैं क्योंकि बनारस के कैथी से गाजीपुर के चकेरी तक करीब 13 किलोमीटर दायरे में मौजूद पथरीली सतह (फ्रेगमेंटेड राक) क्रूज और कार्गो (मालवाहक जहाज) के लिए खतरे का सबब बनी है।
10 सेंटीमीटर से दो मीटर मोटी सख्त सतह नदी के कई हिस्से में मौजूद है। यह काफी नुकीले हैं जो क्रूज या मालवाहक जहाज में सुराख करने में सक्षम हैं। इस परिधि में वर्तमान समय में 0.50 से 0.70 सेंटीमीटर ही पानी है इसलिए सख्त सतह काफी उभर आए हैं। ऐसे में प्राधिकरण द्वारा अधिक रिस्क लेना जलयान के लिए भारी पड़ सकता है।
प्राधिकरण को इंतजार है कि किसी तरह गंगा का जलस्तर बढ़ जाए और पर्याप्त पानी के बीच जलयान को काशी तक पहुंचाया जा सके। वैसे यह स्थिति पहली बार नहीं हुई है, पहले भी एक मालवाहक जहाज गंगधार में फंस चुका था। ड्रेजिंग कराने के बाद कार्गाे की आगे की राह आसान की जा सकी।
सख्त सतह हटाने के लिए ग्लोबल टेंडर, अक्टूबर से शुरू होगा काम
गंगा में बनारस से हल्दिया तक (राष्ट्रीय जलमार्ग-एक) में जल परिवहन को गति तभी मिलेगी, जब न्यूनतम 2.2 मीटर जलस्तर होगा। बनारस के आगे मानक का अनुपालन हो रहा है, लेकिन उसके पहले समस्या बनी हुई है। कैथी से चकेरी तक सख्त सतह (फ्रेगमेंटेड राक) क्रूज और कार्गो (मालवाहक जहाज) के लिए खतरे का सबब बन चुकी है। प्राधिकरण ने गतिरोध दूर करने के लिए टेंडर किया है, लेकिन कार्य अक्टूबर में शुरू किया जाएगा। प्राधिकरण के कार्यालय प्रभारी आरसी पांडेय ने बताया कि हाइड्रोजन जलयान को गाजीपुर में सुरक्षित स्थान पर रोका गया है। पानी में वृद्धि होेते ही उसे बनारस तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। यह समस्या सख्त सतह की वजह से है।
बनारस में बनेंगे तीन प्लांट, प्रतिदिन 1500 किलो हाइड्रोजन का उत्पादन
हाईड्रोजन फ्यूलसेल वेसेल (हाईड्रोजन चालित नौका) के संचालन के लिए आईडब्ल्यूएआइ हाईड्रोजन की स्थायी उपलब्धता करेगा। सागरमाला डेलवेमेंट कंपनी लिमिटेड को तीन हाईड्रोजन प्लांट स्थापित करने के आदेश हुए हैं। एक प्लांट में प्रतिदिन 500 किलोग्राम गैस का उत्पादन होगा। पेट्रोलियम कंपनी एचपीसीएल और आईओसीएल से वार्ता शुरू हो चुकी है। अगर वेसेल आठ घंटे गंगा में संचालित होगा तो 40 किलोग्राम हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी।
प्राधिकरण की योजना है कि शुरू के छह महीने हाइड्रोजन नौका का संचालन कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ही करेगा, इसलिए वही गैस की भी अस्थायी व्यवस्था करेंगे। शिपयार्ड की तरफ से रामनगर मल्टीमाडल टर्मिनल में स्वच्छ पानी से गैस तैयार किया जाएगा। यहीं पर सिलेंडर में स्टोर करेंगे और वेसेल तक पहुंचाएंगे।
समग्रता में शिपयार्ड ही जलयान की रिपोर्ट तैयार करेगा। बेहतर परिणाम मिलने के बाद कई और हाईड्रोजन जलयान का निर्माण होगा। गंगा के अलावा कई और नदियों में संचालित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने प्राधिकरण से शुरूआत के सौ दिन और पांच साल की कार्ययोजना तैयार करने के आदेश दिए हैं। प्राधिकरण की तरफ से हाइड्रोजन नौका के बल्क उत्पादन की लागत का आंकलन रिपोर्ट तैयार करने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है।
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कोचीन शिपयार्ड कोलकाता से वाराणसी के लिए चला देश का पहला हाईड्रोजन जलयान मंजिल से करीब सौ किलोमीटर दूर फंसा है।
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