बीएनपी न्यूज डेस्क। Tri Lateral Highway भारत और थाईलैंड पहले से ही हवाई सेवा से जुड़े हैं। जल्द ही सड़क मार्ग से भी जुड़ जाएंगे। भारत-म्यांमार-थाईलैंड को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए भारत के सहयोग से Tri Lateral Highway का निर्माण चल रहा है। थाईलैंड और भारत के मध्य व्यापार बढ़ाने के लिए थाईलैंड के रानोंग बंदरगाह से भारत के चेन्नई व अंडमान को भी समुद्र मार्ग से जोड़ने की योजना है।
थाईलैंड के राजदूत शूतिनथोन खोंगसक ने कहा कि हाइवे से वियतनाम को भी जोड़ने की योजना है। कंबोडिया, लाओस व मलेशिया से थाईलैंड का सर्वाधिक बॉर्डर ट्रेड है। सड़क मार्ग से जुड़ जाने से भारत से भी व्यापार बढ़ जाएगा।
आसियान देशों को भी सड़क व वायुमार्ग से जोड़ने की योजना है। राजदूत ने कहा कि भारत के सहयोग से 2016 से भारत-म्यांमार-थाईलैंड के बीच 1400 किमी हाइवे का निर्माण चल रहा है। यह भारत के मोरे से म्यांमार के तामूर नगर होते हुए थाईलैंड के मेई सेत जिले के ताक तक जाएगा।
यह भारत को जमीन के रास्ते दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने की योजना है। इन परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने के बाद पर्यटन व व्यापार में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ संबंधित देशों के मध्य मैत्री संबंधों को भी मजबूत बनाएगा। थाईलैंड की राजकुमारी के भारत भ्रमण से हजारों वर्ष से चले आ रहे भारत-थाईलैंड संबंधों में और निकटता आएगी।
‘पूर्व की तरफ देखो’ नीति के तहत इस परियोजना की योजना 2002 में बनाई गई। परियोजना का मकसद इन तीन देशों के बीच व्यापार, कारोबार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन संबंधों को बढ़ावा देना था। यह राजमार्ग भारत के मोरे को म्यांमार होते हुए थाईलैंड के माई सोट से जोड़ेगा। पूर्व सड़क सचिव विजय छिब्बर ने कहा कि इस सोच को मूर्त रूप देने पर कई दशकों से काम चल रहा था, लेकिन इसके क्रियान्वयन में सामान्य से अधिक समय लगा है। छिब्बर ने कहा, ‘सबसे पहले यह परियोजना सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपी गई, जिसने 72 पुलों का निर्माण करने में करीब 10 साल ले लिए। बाद में इसे एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम) को सौंपा गया।’ उन्होंने कहा कि म्यांमार भी प्रस्तावित राजमाार्ग के लिए सड़क परिवहन समझौतों पर हस्ताक्षर करने का थोड़ा अनिच्छुक था।
इन समझौतों से इस त्रिपक्षीय राजमार्ग पर माल के उचित दस्तावेज और अवरोध रहित आवाजाही सुनिश्चित होगी। सड़क बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना इसलिए अहम है क्योंकि राजमार्ग के जरिये माल की आवाजाही में बंदरगाह के जरिये माल की आवाजाही की तुलना में दो-तिहाई समय लगता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस त्रिपक्षीय राजमार्ग की मदद से म्यांमार के जरिये बड़े आसियान बाजार में पहुंचा जा सकता है। क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी के निदेशक (परिवहन) जगन्नारायण पद्मनाभन ने कहा, ‘पूर्व की तरफ देखो नीति के तहत यह परियोजना उत्तर पूर्वी राज्यों को न केवल व्यापार के लिहाज से जोड़ेगी बल्कि उन्हें अपनी उपज उन पड़ोसी देशों में बेचने में मदद करेगी, जिनके साथ भारत का सामाजिक-सांंस्कृतिक संबंध है।’
मणिपुर के मोरेह से बन रही सड़क
तीन देशों को जोड़ने वाली 1400 किमी लंबी यह सड़क परियोजना मणिपुर के चंदेल जिले में सीमावर्ती शहर मोरेह से शुरू होकर म्यांमार के तामू कस्बा होते हुए थाइलैंड के टाक मेई सोट जिले पहुंचेगी। बिश्नोई के मुताबिक सड़क यातायात से जुड़ने के बाद तीनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में और बढ़ोतरी होगी। इससे पूर्वोत्तर भारत के राज्यों का विकास भी सुनिश्चित होगा।
The Review
Tri Lateral Highway
भारत और थाईलैंड पहले से ही हवाई सेवा से जुड़े हैं। जल्द ही सड़क मार्ग से भी जुड़ जाएंगे। भारत-म्यांमार-थाईलैंड को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए भारत के सहयोग से Tri Lateral Highway का निर्माण चल रहा है। अब थाईलैंड और भारत के मध्य व्यापार बढ़ाने के लिए थाईलैंड के रानोंग बंदरगाह से भारत के चेन्नई व अंडमान को भी समुद्र मार्ग से जोड़ने की योजना है।
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