बीएनपी न्यूज डेस्क। GST Notification महंगाई के इस दौर में एक बार फिर से लोगों को गरीबी में आटा गीला होने का सामना करना पड़ सकता है। जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक अब अनब्रांडेड और प्री-पैक्ड वस्तुओं पर पांच फीसदी जीएसटी लगेगा। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। जीएसटी काउंसिल की पिछले महीने हुई बैठक की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने अधिसूचित कर दिया। इसके साथ अब 18 जुलाई से प्री- पैकेज्ड व प्री लेबल्ड दाल, चावल, आटा, मैदा, सूजी, गुड, मुरमुरे, मखाना समेत खाद्य उत्पादों पर पांच फीसदी जीएसटी लागू हो जाएगा।
केंद्रीय माल एवं सेवाकर अधिनियम-2017 के मुताबिक अब चावल, आटा, गेहूं, मैदा, सूजी, दही, छाछ, लस्सी अन्य प्री-पैक्ड अनाज, बीज आदि पर जीएसटी लगेगा। इस निर्णय पर राज्य के भीतर व देश के अन्य राज्यों में व्यापारी संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है। राजधानी में बीते दिनों कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और चैंबर आफ कामर्स ने कड़ा विरोध जताया था और देशभर में आंदोलन की बात कही थी।
75 साल में पहली बार अनाज पर टैक्स
कारोबारियों के मुताबिक आजादी के बाद देश में पहली बार अनाज सहित अन्य खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया गया है। इससे पहले कभी भी दाल, चावल, आटा, गेहूं, मैदा, सूजी पर टैक्स नहीं लगा है। केंद्र सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में ड्राइड लेगुमिनियस वेजिटेबल्स शब्द के सहारे सभी प्रकार के उत्पादों को पांच प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लाने का रास्ता साफ कर लिया है।
85 प्रतिशत घरों में अनब्रांडेड का उपयोग
GST Notification कारोबारियों के मुताबिक 85 प्रतिशत घरों में 100 में से 70 से 80 प्रकार के सामान अनब्रांडेड प्री पैक्ड होते हैं। ऐसे में एक-एक सामानों की कीमतें बढ़ेगी। 100 सामान लेने पर परिवार पर कम से कम 800 से 1000 रुपये का भार आएगा।
18 जुलाई से होगा लागू, विरोध बढ़ा
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के मुताबिक 18 जुलाई से यह नोटिफिकेशन लागू होगा। हालांकि, राज्य के भीतर और देश में इसका विरोध हो रहा है। चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों का कहना है कि कपड़े में भी जीएसटी लागू करने के बाद चौतरफा विरोध हुआ, जिसके बाद केंद्र सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा था। व्यापारियों का कहना है कि नोटिफिकेशन लागू होने के बाद भी विरोध जारी रहेगा।
ट्रेड और उद्योग की माली हालत खराब
कोरोना के कारण ट्रेड तथा उद्योग खराब माली हालत से गुजर रहे हैं। अभी व्यापारी तथा उद्योगपति बैंकों को अपनी ईएमआई नहीं चुका पा रहा है। व्यापारियों द्वारा दी गयी उधारी वापस नहीं आ रही है। उपभोक्ता की जेब में दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं के खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। इस कारण से मध्यमवर्गीय व्यापार एवं उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में यह कर वृद्धि, जो आवश्यक वस्तुओं पर की गई है, नहीं की जानी चाहिए। बल्कि मध्यमवर्गीय व्यापार तथा उद्योग को आवश्यक वस्तुओं के व्यापार के लिये इन्सेन्टिव्ज दिए जाने चाहिए।
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