BNP NEWS DESK। AI Chatbot Grok इन दिनों एक्स का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चैटबाट ग्रोक गली छाप हिन्दी भाषा में जवाब के लिए खूब चर्चा में है। ग्रोक की इस छिछोरी भाषा पर सरकार की भी नजर है। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय ग्रोक की भाषा में सुधार के लिए एक्स के संपर्क में है। इस बात की भी समीक्षा की जा रही है कि इस भाषा के इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार अपने कौन से कानून का इस्तेमाल कर सकती है।
ग्रोक पिछले तीन-चार दिनों से भारत में खूब ट्रेंड कर रहा है
AI Chatbot Grok ग्रोक पिछले तीन-चार दिनों से भारत में खूब ट्रेंड कर रहा है और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी तक के बारे में अनाप-शनाप जवाब देता है। कुछ सवाल के जवाब में यह गली छाप अंदाज में गाली की भाषा के साथ जवाब देता है।
चिल कर, अब रोना बंद कर, तुझे मिर्ची क्यों लग रही है जैसे वाक्य ग्रोक के लिए आम है। एलन मस्क के एक्स ने इस एआई चैटबाट को विकसित किया है। दिलचस्प बात है कि ग्रोक एलन मस्क को अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वाले पहले तीन व्यक्तियों की शामिल करता है। AI Chatbot Grok
सरकार ने ग्रोक की भाषा को लेकर एक्स को कोई नोटिस नहीं दिया
ग्रोक से अमेरिका को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले तीन लोगों के नाम बताने पर वह डोनाल्ड ट्रंप, एलन मस्क और जार्ज सोरोस का नाम लेता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार ने ग्रोक की भाषा को लेकर एक्स को कोई नोटिस नहीं दिया है। सरकार सिर्फ अभी ग्रोक की भाषा और उसके जवाब पर नजर रख रही है और उसकी समीक्षा कर रही है। जानकारों का का कहना है कि ग्रोक एक्स पर विकसित किया गया एआई चैटबाट है।
इसलिए वह एक्स पर किसी को ट्रोल के दौरान इस्तेमाल होने वाली हिन्दी भाषा का अनुसरण कर रहा है और अपने जवाब में बोल-चाल में दी जाने वाली गालियां भी दे रहा है।
मजेदार बात है कि ग्रोक यह भी बोलता है कि हम एआई है, इसलिए हमें मर्यादा का ध्यान रखना पड़ता है। अपने ऊपर होने वाले कटाक्ष को भी ग्रोक आसानी से समझ जा रहा है। जानकारों का कहना है कि ग्रोक की इन हरकतों के बाद एआई के मुक्त विचार और जिम्मेदार इस्तेमाल के बीच संतुलन को लेकर भी चर्चा होने लगी है।
दूसरी तरफ मस्क के एक्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में सरकार पर इस दलील के साथ मुकदमा किया है कि सरकार आईटी एक्ट के तहत एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कंटेंट को ब्लाक करती है। मंत्रालय की तरफ से मामला कोर्ट में होने के नाते इस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से साफ मना कर दिया गया।
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