BNP NEWS DESK। Dala Chhath 2023 भगवान भास्कर की साधना-आराधना का लोकपर्व सूर्य षष्ठी (डाला छठ) कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि में मनाया जाता है।
Dala Chhath 2023 तिथि विशेष में महिलाएं व्रत रख कर सायंकाल नदी, तालाब-सरोवर या जलपूरित स्थान में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
दीप जलाकर रात्रि पर्यंत जागरण के साथ गीत व कथा के जरिए भगवान सूर्य की महिमा का बखान किया जाता है।
महापर्व के विधान चार दिन चलते हैं। इसके तहत पहले दिन चतुर्थी तिथि में (इस बार 17 नवंबर को) नहा-खाकर संयम भोजन से पर्व का आरंभ होता है। इसे नहाय-खाय कहा जाता है।
वहीं, पंचमी तिथि में (अबकी 18 नवंबर) खरना की रस्म निभाई जाएगी। इसमें मीठे भात (बखीर) या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है। षष्ठी (19 नवंबर) व्रत की मुख्य तिथि होती है।
तिथि विशेष पर व्रती सायंकाल गंगा तट या किसी जल वाले स्थान पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। साथ ही घाट पर दीपक जलाएंगे। यहां जागरण का विशेष महत्व है।
सप्तमी तिथि (20 नवंबर) में प्रात:काल अरुणोदय बेला में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद प्रसाद वितरित कर पारन किया जाएगा।
19 को सूर्यास्त 5.22 बजे, 20 को सुबह 6.39 बजे सूर्योदय
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार षष्ठी तिथि 18 नवंबर को सुबह 9.53 बजे लगेगी, जो 19 नवंबर को प्रात: 7.50 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के कारण इसी दिन सायंकाल सूर्य षष्ठी का प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा।
इस दिन सूर्यास्त शाम 5.22 बजे होगा। इसी समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 20 नवंबर को प्रात: 6.39 बजे सूर्योदय होगा। इसी समय उदित सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
तपस्यापरक व्रत
सूर्य षष्ठी व्रत वस्तुत: अत्यंत कठिव व तपस्यापरक माना गया है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से स्त्रियां पति, पुत्र व धन-ऐश्वर्य आदि से संपन्न होती हैं।
तिथि विशेष पर गंगा स्नान, जप आदि का विशेष महत्व है। सूर्य पूजन व गंगा स्नान ही इस व्रत में मुख्य है। पूजन सामग्री में कनेर का लाल फूल, लाल वस्त्र, गुलाल, धूप-दीप आदि विशेष है।
-चतुर्थी 17 को नहाय खाय
-पंचमी 18 को खरना
-षष्ठी 19 को सूर्य षष्ठी
-सप्तमी 20 को द्वितीय अर्घ्य
The Review
Dala Chhath 2023
भगवान भास्कर की साधना-आराधना का लोकपर्व सूर्य षष्ठी (डाला छठ) कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि में मनाया जाता है।
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