बीएनपी न्यूज डेस्क। काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर – मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की 29 मार्च से लगातार सुनवाई जारी रहेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंदिर परिसर में सर्वे कराने संबंधी वाराणसी की अदालत के आदेश पर रोक लगा रखी है।
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका व अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं। विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वकील विजय शंकर रस्तोगी ने अतिरिक्त लिखित बहस दाखिल की और कहा कि याची ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11डी के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति अर्जी दाखिल की थी। किन्तु उसपर बल न देकर ज़वाबी हलफनामा दाखिल किया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर वाद बिंदु तय किए हैं। मंदिर पक्ष का कहना है कि संपत्ति लार्ड विश्वेश्वर मंदिर की है।जो सतयुग से विद्यमान है। ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर का कब्जा है।पूजा अर्चना जारी है।स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर स्वयं विराजमान हैं जो कि 15 वींं सदी के मंदिर का हिस्सा है। जमीन की प्रकृति धार्मिक है। 15 अगस्त 47 को पूजा होती थी,अभी भी जारी है, इसलिए प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 इस पर लागू नहीं होगा। समय की कमी के कारण गुरुवार को बहस पूरी नहीं हो सकी अब 29 मार्च से लगातार बहस होगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ से कहा गया है कि तहखाने व आस-पास लगातार पूजा-अर्चना हो रही है। इसके मद्देनजर अवैध निर्माण हटाकर मंदिर का पुनरुद्धार करने की अनुमति दी जाए और याचिका खारिज की जाए।मामले के अनुसार 18 अक्टूबर, 1991 को स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी सिविल वाद दायर किया गया।
इसमें तहखाने के ऊपर निर्माण सहित पुराने मंदिर के हिस्से व नौबत खाने को भगवान विश्वेश्वरनाथ की संपत्ति घोषित करने, हिंदुओं को मंदिर का पुनरुद्धार करने की अनुमति देने तथा मंदिर भूमि पर मुस्लिम समुदाय के कब्जे को अवैध घोषित करने की मांग की गई है। साथ ही अवैध निर्माण हटाकर वादी को कब्जा सौंपकर सेवा, पूजा, राज भोग में हस्तक्षेप पर स्थायी रोक लगाने की मांग की गई है।
Discussion about this post