बीएनपी न्यूज डेस्क। गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा शासित राज्य में गत पांच साल में दलबदल से परेशान कांग्रेस ने पार्टी उम्मीदवारों को ईश्वर के सामने शपथ दिलाई है कि वे निर्वाचित होने के बाद पाला नहीं बदलेंगे। कांग्रेस को अपने सभी 34 उम्मीदवारों को बस के जरिये मंदिर, गिरिजाघर और दरगाह ले गई और उन्हें ‘‘दल बदल के खिलाफ’’ शपथ दिलाई।
पिछले विधानसभा चुनाव से अबतक पार्टी के टिकट पर निर्वाचित अधिकतर विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। कांग्रेस को वर्ष 2017 में राज्य की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 17 सीटों पर जीत मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन अब उसके केवल दो विधायक सदन में बचे हैं। 2019 में कांग्रेस के 10 विधायक सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए थे जिसके विधायकों की मौजूदा संख्या विधानसभा में 27 है। गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के अध्यक्ष गिरिश चोडानकर ने कहा, ‘‘लोगों के मन में भरोसा पैदा करने के लिए उम्मीदवारों को ईश्वर के समक्ष शपथ दिलाई गई।’’
उम्मीदवारों को पणजी के महालक्ष्मी मंदिर, बाम्बोलिन के गिरिजाघर और बेटिम गांव की दरगाह में शपथ दिलाई गई। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम जिन्हें पार्टी ने गोवा का चुनाव पर्यवेक्षक बनाया है भी उम्मीदवारों के साथ इन धार्मिक स्थलों पर गए। हालांकि, कांग्रेस राज्य में पहली पार्टी नहीं है जो इस तरह का कार्य कर रही है। पिछले साल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) अपने तीन विधायकों और पदाधिकारियों को मापुसा स्थित देव बोदगेश्वर मंदिर ले गई थी और उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन नहीं करने की शपथ दिलाई थी।
जनादेश का ऐसा अपमान कभी किसी राज्य में नहीं हुआ
गोवा में चुने हुए विधायकों ने जनादेश का ऐसा अपमान किया है जो देश के किसी भी अन्य राज्य में नहीं हुआ है। चुनाव व्यवस्था और नेताओं पर नजर रखने वाली एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच साल में करीब 24 विधायकों ने पार्टी बदल ली जो 40 सदस्यीय विधानसभा का 60 प्रतिशत है।
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल में करीब 40 में से 24 विधायकों ने अपनी पार्टियां बदली है। ऐसा भारत में कहीं और कभी नहीं हुआ है। यह जनता के द्वारा दिए गए स्पष्ट जनादेश के बिल्कुल उलट है। नेताओं ने राजनीति के नैतिकता और अनुशासन का भी उल्लंघन किया है। एडीआर ने अपनी रिपोर्ट ने उन नेताओं का नाम शामिल नहीं किया है जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। इन नेताओं में भाजपा के मौजूदा विधायक विश्वजीत राणे, सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपते शामिल हैं। बता दें कि सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपते ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। बाद में वे दोनों फिर से विधायक चुने गए।
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