BNP NEWS DESK। Akhilesh Yadav सीबीआई ने मामला दर्ज करने के पांच वर्ष बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गुरुवार को एक गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया है। यह मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।
Akhilesh Yadav आरोप है कि 2012-16 के दौरान जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो अधिकारियों ने अवैध खनन की अनुमति दी थी और खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया था।
अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीसी की धारा-160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है। इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को समन करने की अनुमति होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वह आरोपित नहीं हैं। वह गवाह हैं।’
सपा सबसे ज्यादा निशाने पर
2019 में दर्ज मामलों में नोटिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला बोला और सीबीआइ के कदम को आगामी चुनावों से जोड़ा। लखनऊ में एक मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में अखिलेश ने कहा, ‘सपा सबसे ज्यादा निशाने (भाजपा के) पर है। 2019 में मुझे एक नोटिस मिला था क्योंकि तब लोकसभा चुनाव थे। अब फिर से चुनाव आ रहे हैं, तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है। Akhilesh Yadav
आप देश में ऐसा हाईवे क्यों नहीं बना पाए जिस पर हरक्यूलिस विमान उतर सके
मुझे मालूम है कि जब चुनाव आते हैं तो नोटिस भी आएगा।’ उन्होंने सवाल किया, ‘यह घबराहट क्यों? अगर पिछले 10 वर्षों में आपने (भाजपा ने) बहुत सारा काम किया है तो आप घबराए हुए क्यों हैं?’ विकास के मुद्दे पर भी उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और कहा, ‘प्रधानमंत्री यहां एक्सप्रेसवे पर एक हरक्यूलिस विमान में उतरे थे। इसे समाजवादियों ने बनाया था। आप देश में ऐसा हाईवे क्यों नहीं बना पाए जिस पर हरक्यूलिस विमान उतर सके।’ Akhilesh Yadav
ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन
अधिकारियों के अनुसार, यह भी आरोप है कि यादव जब मुख्यमंत्री थे तो अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी और पट्टाधारकों व चालकों से पैसे वसूले। खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे।
इसके बाद ही एफआइआर दर्ज करने का फैसला लिया जाता है। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने 17 फरवरी, 2013 को ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करके एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। प्राथमिकी के अनुसार, यादव 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास था जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई।
सीबीआइ ने दावा किया कि 17 फरवरी, 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे।
एजेंसी ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में आइएएस अधिकारी बी. चंद्रकला, सपा के विधानपरिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 लोगों के विरुद्ध अपनी प्राथमिकी के संबंध में जनवरी, 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी।
वर्ष 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा दुष्कर्म का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
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सीबीआई ने मामला दर्ज करने के पांच वर्ष बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गुरुवार को एक गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया है।
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