BNP NEWS DESK। Buddha Bone Darshan सारनाथ महाबोध सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के 93 वे वार्षिकोत्सव के मौके पर आज से तीन दिनों तक भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का दर्शन लगभग 25 हजार बौद्ध अनुयायी करेंगे।
Buddha Bone Darshan सोसाइटी के सयुक्त सचिव भिक्षु आर सुमित्ता नन्द थेरो ने बताया कि 13 से 15 नवम्बर तक मन्दिर में बुद्ध अस्थि दर्शन सुबह 7 बजे से 10.30 बजे तक होगा। 15 नवम्बर को बुद्ध अस्थि अवशेष की शोभायात्रा निकलेगी। जिसमे श्रीलंका, वियतनाम, थाई, जापान,नेपाल,कम्बोडिया, भूटान सहित महाराष्ट्र, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश,से लगभग 25 हजार बौद्ध अनुयायी दर्शन करेगे। इसके लिए बौद्ध मंदिर व परिसर को बिजली के रंगीन झालरों व पंचशील झंडों से सजाया गया है।
हीरे और मोतियों से जड़े पात्र में अस्थि अवशेष तहखाने में रखा गया है
सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में हीरे और मोतियों से जड़े पात्र में अस्थि अवशेष तहखाने में रखा गया है। अस्थि अवशेष को मूलगंध कुटी विहार के निर्माण के साथ ही तत्कालीन ब्रिटिश गर्वनर ने महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक अनगारिक धर्मपाल को वर्ष 1931 में प्रदान किया था।
माना जाता है कि कुशीनगर में बुद्ध के महानिर्वाण के बाद चिता की अग्नि में उनके शरीर के कई हिस्से तो जल गए थे लेकिन अस्थियां यथावत बनी रहीं। चिता शांत होने पर मल्लों ने अस्थियों को स्वर्ण कलश में रख दिया था।
कार्तिक पूर्णिमा पर बौद्ध मठों की हुई सजावट
कार्तिक बुद्ध पुर्णिमा शुक्रवार को हैं।जिसको लेकर सारनाथ के सभी बौद्ध मठ व मंदिरों को सजा दिया गया है। इस दौरान विविध धार्मिक अनुष्ठान होंगे। जिसको लेकर जम्बूद्वीप बौद्ध मठ के प्रभारी भिक्षु के सिरी सुमेध थेरो ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर मन्दिर में श्रीलंका बौद्ध अनुयायी के साथ मन्दिर में विधिवत दर्शन पूजन होगा। इस दौरान लगभग 4 हजार श्रीलंकाई बौद्ध अनुयायी आएंगे।
वहीं धम्म शिक्षण केंद्र के प्रभारी भिक्षु चंदिमा ने बताया कि 14 नवम्बर को परिसर में बोधि वृक्ष के नीचे पूरी रात महापरित्रण पाठ होगा। एंव 16 नवम्बर को सारनाथ से कुशीनगर के लिए बौद्ध भिक्षुओं की पदयात्रा निकलेगी। इसी तरह यहां के जापानी, थाई, वियतनाम, कम्बोडिया, कोरिया, तिब्बती बौद्ध मठों के सजाया गया है।
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सारनाथ महाबोध सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के 93 वे वार्षिकोत्सव के मौके पर आज से तीन दिनों तक भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का दर्शन लगभग 25 हजार बौद्ध अनुयायी करेंगे।
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