बीएनपी न्यूज डेस्क। Brajesh Singh माफिया मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन और सबसे बड़े विरोधी ब्रजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह 14 साल बाद गुरुवार की शाम जेल से रिहा हो गए। बुधवार को ही उन्हें हाईकोर्ट से मुख्तार अंसारी पर हुए हमले के मामले में जमानत मिली थी। ब्रजेश सिंह की पूरी जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। ब्रजेश सिंह पर एक समय हत्या, हत्या के प्रयास समेत दर्जनों केस थे। यही नहीं उन पर मकोका यानी महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट, टाडा यानी टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज एक्ट, गैगस्टर एक्ट, हत्या, हत्या की साजिश, दंगा भड़काने, वसूली और धोखे से जमीन हड़पने के मुकदमे दर्ज हुए थे।
वाराणसी के धौरहरा गांव के रहने वाले ब्रजेश सिंह स्कूली पढ़ाई-लिखाई में सामान्य ही थे। सिंचाई विभाग कार्यरत पिता रवींद्र नाथ सिंह चाहते थे कि बेटा पढ़ाई में बढ़िया करे और आइएस बने। ब्रजेश ने अपने पिता के सपने पूरा करने के लिए बीएससी में प्रवेश ले लिया। तभी भूमि विवाद के चलते पिता की हत्या कर दी गई। 1984 के इस हत्याकांड के बाद ब्रजेश पिता के सपनों को भूल गए, इसके बाद उन्होंने घर छोड़ा और आरोप है कि यहीं से अपराध की दुनिया में पहुंच गए।
जब कचहरी में चली एके-47
ब्रजेश के पिता की हत्या में गांव के ही प्रधान रघुनाथ की भी भूमिका थी। आरोप है कि ब्रजेश ने भरी कचहरी में एके-47 से उन्हें भून दिया था। पूर्वांचल के इतिहास में पहली बार एके-47 का हत्या में इस्तेमाल हुआ था। इस गैंगवार को रोकने के लिए टीम बनाई गई। पुलिस एनकाउंटर में पांचू को मार दिया गया। इस एनकाउंटर से लगा कि खूनी खेल बंद हो जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ।
सिकरौरा गांव में पूर्व प्रधान रामचंद्र यादव सहित 6 लोगों की हत्या कर दी गई। इस दौरान ब्रजेश को भी गोली लगी। पुलिस ने ब्रजेश को पकड़ लिया। फिर पुलिस ने ब्रजेश को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन वहां से वह फरार हो गया।
2008 में पुलिस ने उड़ीसा के भुवनेश्वर से ब्रजेश को गिरफ्तार कर लिया। ब्रजेश वहां अरुण कुमार नाम से रह रहे थे। हालांकि कहा जाता है कि यह गिरफ्तारी प्रायोजित थी। तीन सालों में ब्रजेश ने अंडरग्राउड होते हुए भी खुद को मजबूत कर लिया था। अब उन्हें पूर्वांचल में रहना था और मुख्तार गैंग का खात्मा करना था।
ब्रजेश सिंह की पूरी जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। ब्रजेश सिंह पर एक समय हत्या, हत्या के प्रयास समेत दर्जनों केस थे। यही नहीं उन पर मकोका यानी महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट, टाडा यानी टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज एक्ट, गैगस्टर एक्ट, हत्या, हत्या की साजिश, दंगा भड़काने, वसूली और धोखे से जमीन हड़पने के मुकदमे दर्ज हुए थे।
पूर्वांचल में कभी सबसे बड़े माफिया डॉन के रूप में विख्यात ब्रजेश सिंह की मुख्तार अंसारी के गैंग से तीन दशक से भी ज्यादा समय से सीधी लड़ाई चली आ रही है। इस लड़ाई में अब तक दर्जनों लोगों की कुर्बानी हो चुकी है। दोनों ओर से ताबड़तोड़ गोलियां चलीं और सरेराह हत्याएं हुईं। पहली बार एके 47 का भी हत्या में इस्तेमाल इन्हीं दोनों गैंग के बीच हुआ। पूर्वांचल के छोटे-छोटे अपराधियों ने दोनों को ही अपना रोल मॉडल माना और कोई ब्रजेश सिंह के गैंग से जुड़ा तो कोई मुख्तार अंसारी के साथ जुड़ता रहा।
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Brajesh Singh
Brajesh Singh माफिया मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन और सबसे बड़े विरोधी ब्रजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह 14 साल बाद गुरुवार की शाम जेल से रिहा हो गए। बुधवार को ही उन्हें हाईकोर्ट से मुख्तार अंसारी पर हुए हमले के मामले में जमानत मिली थी। ब्रजेश सिंह की पूरी जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। ब्रजेश सिंह पर एक समय हत्या, हत्या के प्रयास समेत दर्जनों केस थे।
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