बीएनपी न्यूज डेस्क। यूपी की 59 सीटों मतदान जबकि पंजाब की सभी 117 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है। दोनों ही राज्यों में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों ही राज्यों में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। वर्तमान में पंजाब में कांग्रेस की सरकार है जबकि उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता में है।
पंजाब में रविवार सुबह 117 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान शुरू हो गया, जहां 2.14 करोड़ से ज्यादा मतदाता 93 महिलाओं और दो ट्रांसजेंडरों सहित 1,304 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
पंजाब में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के बीच है, जो कृषि कानूनों को लेकर 2020 में भाजपा के साथ दो दशक पुराने नाता तोड़ने के बाद बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।
संयुक्त समाज मोर्चा के अलावा भाजपा-पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) गठबंधन भी मैदान में है, जिसमें पंजाब के किसान निकाय शामिल हैं, जिन्होंने केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था।
सभी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार दे रही हैं। आप ने सभी महिलाओं के लिए 1,000 रुपये का वादा किया है, जबकि कांग्रेस ने जरूरतमंद महिलाओं के लिए 1,100 रुपये प्रति माह का आश्वासन दिया है। एसएडी-बसपा गठबंधन ने बीपीएल परिवारों की सभी महिला मुखियाओं को हर महीने 2,000 रुपये देने का वादा किया है।
राजनीतिक परिदृश्य में सबसे युवा विवादास्पद और भीड़ को अपनी तरफ करने वाले उम्मीदवार सिद्धू मूसेवाला हैं, जबकि सबसे बड़े शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के संरक्षक 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल हैं, जिनके पैर 2019 में वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छुए थे।
मुख्य चुनाव अधिकारी एस. करुणा राजू ने शनिवार को मीडिया को बताया कि 1,304 उम्मीदवारों में से 231 राष्ट्रीय दलों, 250 राज्य, 362 गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों से और 461 निर्दलीय उम्मीदवारों से हैं। चुनाव लड़ने वाले कुल 315 उम्मीदवार आपराधिक इतिहास वाले हैं। उन्होंने कहा कि 14,684 मतदान केंद्रों पर 24,689 मतदान केंद्र और 51 सहायक मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 2,013 को संवेदनशील और 2,952 संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है। वहां 1,196 मॉडल मतदान केंद्र और 196 महिला-प्रबंधित केंद्र होंगे। सभी स्टेशनों की वेबकास्टिंग होगी।
राजू ने कहा कि कुल मतदाताओं में 80 साल या उससे ज्यादा उम्र के 444,721, विकलांग मतदाता 138,116 मतदाता और 162 कोरोना मरीज शामिल हैं। इस बार 18-19 साल की आयु के कुल 348,836 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, जबकि 1608 एनआरआई मतदाता हैं।
वहीं तीसरे चरण के तहत उत्तर प्रदेश के 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है। सुबह 7 बजे से ही मतदाताओं ने अपने-अपने घरों से निकलकर मतदान स्थल पर पहुंच कर नई सरकार के चुनाव के लिए अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। यह मतदान शाम 6 बजे तक चलेगा।
मैनपुरी, इटावा, हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, फरूखाबाद, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिले के मतदाता 627 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर रहे हैं।
आपको बता दें कि, इन 16 जिलों को आमतौर पर समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों में से 49 सीटें जीतकर भाजपा ने सपा को गहरा धक्का पहुंचाया था। 2017 में सपा इन 59 सीटों में से केवल 9 सीटें ही जीत पाई थी।
तीसरे चरण के मतदान वाली 59 सीटों में से सबसे ज्यादा निगाहें जिस सीट पर लगी है वह मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने इसके लिए अपने परिवार और पार्टी का गढ़ माने जाने वाली सबसे मजबूत सीट करहल को चुना है लेकिन भाजपा ने यहां से केंद्रीय मंत्री और एक जमाने में मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे एसपी सिंह बघेल को चुनावी मैदान में उतार कर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। रविवार को चल रहे मतदान में जिन अन्य दिग्गज नेताओं के भाग्य का फैसला होना है उसमें अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव भी शामिल है जो इटावा जिले की जसवंत नगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। योगी सरकार के मंत्री सतीश महाना, नीलिमा कटियार, पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण, बसपा से हाल ही में भाजपा में शामिल हुए रामवीर उपाध्याय, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद समेत 627 उम्मीदवारों की किस्मत रविवार को ईवीएम मशीन में कैद हो रही है।
जनता ने किसे अपना समर्थन दिया है और किसे खारिज कर दिया है , यह तो 10 मार्च को मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा लेकिन इतना तो तय है कि करहल समेत इन 59 सीटों पर जो भी नतीजा आएगा, उसका प्रभाव लंबे समय तक पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर आएगा।
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