BNP NEWS DESK। Ajay Krishna Vishwesh ज्ञानवापी मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद साक्ष्य व पत्रावली के आधार पर आदेश दिया। यह बातें पूर्व जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश गुरुवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समिति कक्ष में आयोजित काशी में ज्ञानवापी विषयक संगोष्ठी व सम्मान समारोह में कहीं।
Ajay Krishna Vishwesh प्रबोधिनी फाउंडेशन व प्रबुद्धजन काशी की ओर से आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि साक्ष्य व पत्रावली न्याय का आधार होते हैं। उन्होंने हर मुकदमे में फैसला इसी आधार पर दिया है। ज्ञानवापी का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनके पास आया जिससे एक दबाव था। इसके बावजूद सभी पक्षों को अदालत में अपनी बात कहने का भरपूर मौका दिया। साक्ष्यों व पत्रावली का बारीकी से अध्ययन किया।
इसके बाद मुकदमे का आदेश दिया कि ताकि किसी भी पक्ष के मन में कोई संदेह न रह जाए। उनके मुकदमों को ऊंची अदालतों में चैलेंज किया जाता रहा इसलिए आदेश देते समय सावधानी रखता था कि किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाए।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राजर्षि गांगेय हंस विश्वामित्र ने कहा कि वह राष्ट्र मजबूत हैं जो अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। भारत भी इनमें से ही है जहां धर्म और संस्कृति मौजूद है। हमारे देश के कई टुकड़े हुए लेकिन हमारी संस्कृति नहीं बंट सकी है। जो बातें आज विज्ञान कह रहा है वह हमारे धर्मग्रंथों में हजारों साल पहले लिख दी गई हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काशी विद्यापीठ के कुलपित प्रो. एके त्यागी ने कहा कि भारत के लोग अपने राष्ट्रीय चरित्र की भावना को पहचान रहा है। इसलिए भारत का पुराना गौरव लौटने लगा है। हमारा देश अपने ज्ञान के बल पर विश्व गुरु था। इसके बल पर ही फिर विश्वगुरु बनेगा। संगोष्ठी में जिला जज के सम्मानित किया गया।
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Ajay Krishna Vishwesh
ज्ञानवापी मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद साक्ष्य व पत्रावली के आधार पर आदेश दिया।
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