बीएनपी न्यूज डेस्क। Azadi Ka Amrit Mahotsav बनारस जो दुनिया के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है और हस्तशिल्प एवं हथकरघा मिठाइयों, बनारसी साड़ी, लंगड़ा आम, शहनाई, तबला, एवं पान के लिए जरूर से जाना जाता है, देश की बौद्धिक सम्पदा में जीआइ पंजीकरण के माध्यम से शुमार होने की तैयारी में है, जिसमें Azadi Ka Amrit Mahotsav वर्ष में 75वें उत्पाद के रूप में स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़ी प्रसिद्ध मिठाई बनारस की तिरंगी बर्फी का जीआइ आवेदन होने के लिए चेन्नई स्थित जीआइ रजिस्ट्री में भेजा जा चुका है।
पदमश्री से सम्मानित जीआइ विशेषज्ञ डाक्टर रजनीकान्त ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष 75वें वर्ष में एक ही वर्ष के अन्दर 75 जीआइ आवेदन भेजने का लक्ष्य तय कर लिया गया था और 5 अगस्त, 2021 से इस लक्ष्य को पाने की प्रक्रिया जम्मू डिवीजन से बसोहली पाश्मिना के साथ शुरू हुई एवं महाराष्ट्र, उड़ीसा, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, आसाम, दादरानगर हवेली, झारखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों से होते हुए उत्तर प्रदेश में विभिन्न जनपदों से होकर वाराणसी पहुंची और बनारस तिरंगी बर्फी को इस वर्ष अकेले संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा फैसिलिटेट की गयी 75वें उत्पाद के रूप में जीआइ रजिस्ट्री को भेज दिया गया, जिसका आवेदन ‘‘महानगर उद्योग व्यापार समिति’’ द्वारा किया गया है।
इस 75 उत्पादों को जीआइ पंजीकरण में सहयोग के लिए नाबार्ड, उत्तराखण्ड आर्गनिक कमोडिटी बोर्ड, उत्तराखण्ड सरकार, यूयचयचडीसी-देहरादून, त्रिपुरा एवं ट्राईफेड-नई दिल्ली ने पूरा सहयोग प्रदान किया और स्थानीय सम्बन्धित संस्थाओं के आवेदन के माध्यम से ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के तकनिकी सहयोग से यह 75 का लक्ष्य सम्भव हो पाया, जिसके लिए संस्था सभी की आभारी है।
देश के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बचाने व बढ़ाने का अमृतफल निश्चित तौर पा आने वाले वर्षों में इस राष्ट्र के साथ साथ इन उत्पादों से जुडे़ सभी शिल्पियों, बुनकरों, किसानों, स्थानीय निर्माताओं के साथ साथ निर्यातकों को भी देश की बौद्धिक सम्पदा को जीआई के माध्यम से विश्व बाजार में पहुंचाने का गौरव प्राप्त होगा और जो उत्पाद पंजीकृत हो गए हैं, व विश्वबाजार में आत्मनिर्भरत भारत और डिजिटल इण्डिया के माध्यम से लोकल से ग्लोबल हो रहे हैं।
किसी एक संस्था (ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन) के प्रयास से अभी तक भारत वर्ष में 75 जीआई आवेदन एक वर्ष में नहीं किया गया था, काशी की संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने डाक्टर रजनीकान्त के नेतृत्व में जीआई फैसिलिटेशन द्वारा यह मुकाम हासिल किया है जिसे छू पाना लगभग नामुमकीन है। इसके पूर्व में भी बनारस और पूर्वांचल के 18 उत्पादों को जीआइ का टैग प्राप्त हो चुका है एवं बनारस के नए 12 उत्पाद प्रक्रिया में शामिल हो चुके हैं जिसमें तिरंगी बर्फी, शहनाई, तबला, लालपेड़ा, लंगड़ाआम, सहित कई उत्पाद शामिल हैं।
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Azadi Ka Amrit Mahotsav
Azadi Ka Amrit Mahotsav बनारस जो दुनिया के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है और हस्तशिल्प एवं हथकरघा मिठाइयों, बनारसी साड़ी, लंगड़ा आम, शहनाई, तबला, एवं पान के लिए जरूर से जाना जाता है, देश की बौद्धिक सम्पदा में जीआइ पंजीकरण के माध्यम से शुमार होने की तैयारी में है, जिसमें आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में 75वें उत्पाद के रूप में स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़ी प्रसिद्ध मिठाई बनारस की तिरंगी बर्फी का जीआइ आवेदन होने के लिए चेन्नई स्थित जीआइ रजिस्ट्री में भेजा जा चुका है।
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