बीएनपी न्यूज डेस्क। मुख्तार अंसारी की गैंग में शामिल मऊ की डा. अलका राय व डा. शेषनाथ राय को बाराबंकी पुलिस ने मऊ में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस टीम दोनों आरोपितों को कड़ी सुरक्षा में बाराबंकी लेकर आ रही है। इस गिरोह के आठ सदस्य अभी भी फरार हैं, जिनकी पुलिस टीमें तलाश कर रही है।
बहुचर्चित एंबुलेंस प्रकरण में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी हुए गैंगस्टर के मुकदमे में 12 सदस्याें को नामजद किया गया है। एंबुलेंस प्रकरण में हुए मुकदमे में सभी को जेल भेजा गया था। वर्तमान में मुख्तार, अफरोज खां उर्फ चुन्नू और जफर उर्फ चंदा पहले से जेल में हैं। जबकि मऊ जिले बलियामऊ मोड़ पर स्थित श्याम संजीवनी अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की संचालिका डा. अलका राय, डा. शेषनाथ राय, थाना सराय लखंसी के अहिरौली का राजनाथ यादव, ग्राम सरवां का आनंद यादव, गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद के मंगलबाजार यूसुफपुर का सुरेंद्र शर्मा, सैदपुर बाजार मुहल्ला रौजा का मो. शाहिद, फिरोज कुरैशी, सलीम, प्रयागराज के थाना करेली के वसिहाबाद सदियापुर का मो. सुहैब मुजाहिद और लखनऊ के वजीरगंज थाना के लारी हाता कालोनी का मो. जाफरी उर्फ शाहिद जेल से बाहर हैं।
गैंगस्टर के मुकदमे में इन आरोपितों के लिए गठित की गई तीन टीमों में से एक ने डा. अलका और डा. शेषनाथ को मऊ में गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को टीम मंगलवार भोर मऊ से लेकर बाराबंकी के लिए रवाना हुई है। मंगलवार दोपहर बाद इनके बाराबंकी पहुंचने की बात कही जा रही है। अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी पूर्णेंदु सिंह ने बताया कि आरोपितों को लाया जा रहा है। पूछताछ के बाद दोनों को न्यायालय में पेश किया जाएगा, जहां से जेल भेजा जाएग
अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट की रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विधानसभा चुनाव के दौरान आपत्ति जनक बयान देने के आरोप में मऊ नगर कोतवाली में दर्ज एफआआर के तहत बाहुबली मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वी के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अब्बास अंसारी की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की। याची का कहना है कि तीन मार्च की चुनावी सभा में सत्ता में आने पर अधिकारियों को सबक सिखाने की धमकी दी, जिसकी एफआइआर चार मार्च को दर्ज कराई गई है। याची का कहना है कि आरोपों पर सात साल से अधिक सजा नहीं दी जा सकती और 153ए संज्ञेय अपराध की धारा जानबूझकर जोड़ी गई है। कहा गया कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर एफआइआर दर्ज कराई गई है किन्तु यह सही नहीं है। इस धारा में पुलिस याची को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है जबकि वह मऊ से विधायक है,उसे शपथ लेने नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते में याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने याची को विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि यदि सहयोग नहीं करते तो सरकार अंतरिम आदेश विखंडित करने की अर्जी दाखिल कर सकती हैं।
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