BNP NEWS DESK। Swarveda Gyan Mahayagya सत्य पर पूर्ण विश्वास ही श्रद्धा है। जो श्रद्धावान है, वही ज्ञान की प्राप्ति कर शांति का अनुभव करता है। अध्यात्म ही वह समाधान है जिससे सभी समस्याएं सुलझ जाती हैं। जीवन का सर्वांगीण विकास अध्यात्म से ही संभव है। ये बातें स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कही। वह शुक्रवार को स्वर्वेद महामदिर परिसर उमरहा में आरंभ 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के प्रथम दिवस उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
Swarveda Gyan Mahayagya प्रात: सात बजे उन्होंने ‘अ’ अंकित श्वेत ध्वज का आरोहण कर महायज्ञ का शुभारंभ किया। तत्पश्चात शारीरिक आरोग्यता के निमित्त आश्रम के योग प्रशिक्षकों द्वारा आसन-प्राणायाम एवं ध्यान का सत्र चला। हजारों योग साधक अनेक असाध्य रोगों से निजात पाने का गुर सीखे।
संत प्रवर ने कहा कि सेवा से आत्म कल्याण ही नहीं, जगत का कल्याण होता है। दुखियों का दुख कैसे कम हो यही श्रेष्ठ चिंतन है। योगी ही उपयोगी होता है, जो सबके हित का चिंतन करता है। मानव जीवन ईश्वर का महान प्रसाद है। जीवन को यदि ठीक-ठीक जान लिया तो हमने परमसत्य का साक्षात कर लिया, क्योंकि जीवन का आधार परमात्मा है, जो आनंद स्वरूप है।
जहां सत्य, श्रद्धा समर्पण, सेवा भाव है वहीं आत्मा का कल्याण और परमात्मा का प्रकाश है। उन्होंने ब्रह्मविद्या विहंगम योग के सैद्धांतिक पक्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला। मन की शांति व आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त ब्रह्मविद्या विहंगम योग के क्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा हजारों आगत नए जिज्ञासुओं को दी गई। प्रतिदिन निश्शुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ आदि चिकित्सा पद्धतियों द्वारा कुशल चिकित्सकों के निर्देशन में रोगियों को परामर्श भी दिया जा रहा है। Swarveda Gyan Mahayagya
पांच किमी क्षेत्र में फैला है यज्ञ स्थल
महायज्ञ 350 एकड़ यानी पांच किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। स्वागत केंद्र से आवास तक जाने के लिए आश्रम द्वारा प्रदूषण मुक्त 50 ई-रिक्शा चलवाए जा रहे हैं। महामंदिर से सटे गांव उमरहा, डुबकियां और आसपास मिनी कुंभ सा दृश्य उपस्थित हो गया है।
सांस्कृतिक लोक कला संग व्यंजनों का आनंद
सायंकालीन सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। विभिन्न राज्यों से आए अनुयायी कलाकारों ने अपने-अपने राज्य की लोक कलाओं का प्रदर्शन किया। पूरे परिसर में उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के व्यंजनों के स्टाल लगे हुए हैं।
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