बीएनपी न्यूज डेस्क। Cyber Crime सुविधाएं अपने साथ खतरे भी लेकर आती हैं। मैनुअल वर्क में समय लगता है और उबाऊ महसूस हो सकता है, लेकिन उसमें सुरक्षा की गारंटी भी बहुत ज्यादा होती है। तकनीक ने बहुत सी सुविधाएं दीं तो खतरे भी अनगिनत दिए। पेमेंट और ट्रांजैक्शन को लेकर आई तकनीकी क्रांति ने जीवन बहुत आसान कर दिया लेकिन झटके में सारी कमाई के चपत लगने का खतरा भी हमेशा मंडराता रहता है। आपकी छोटी से छोटी चूक से बड़ा से बड़ा नुकसान हो सकता है क्योंकि उसी टेक्नॉलजी का उपयोग फर्जीवाड़ा करने के लिए हो रहा है जिससे आपको घर बैठे सारे काम निपटाने की सुविधाएं मिल रही हैं। क्यूआर कोड का खेल भी कुछ ऐसा ही है। आइए समझते हैं कि कैसे गलत क्यूआर कोड स्कैन करते ही आप अपने बैंक अकाउंट का पूरा कंट्रोल दूसरे के हाथ में दे देते हैं…
जानें, किस तरह जाल में फांसते हैं फर्जीवाड़ा करने वाले
क्यूआर कोड्स बहुत आम हो रहा है। किराने की दुकान से लेकर फल-सब्जी के ठेलों पर, पेट्रोल पंप से मॉल्स तक- सब जगह पेमेंट के लिए क्यूआर कोड्स रहते हैं। अब तो रेस्ट्रॉन्ट के मेन्यू भी क्यूआर कोड्स के जरिए देखे जा सकते हैं। कुल मिलाकर अब क्यूआर कोड्स स्कैन करना आम हो गया, इसलिए हम सतर्क नहीं रहते हैं। फर्जीवाड़ा करने में जुटे लोगों को भी आपका यह मिजाज पता है। उन्हें पता है कि आप कितनी बेपरवाही से क्यूआर कोड स्कैन कर लेते हैं। इसलिए वो ऐसे बहाने बनाकर आपको क्यूआर कोड स्कैन करने को कहते हैं जिन पर आपको संदेह भी नहीं हो, बशर्ते आप बहुत सतर्क नहीं रहें।
धोखाधड़ी में शामिल लोग काफी शातिर होते हैं इसलिए उन्हें पता होता है कि बुजुर्ग और घरेलू महिलाएं ज्यादा टेक सेवी नहीं होतीं। इस कारण उनका प्राइमरी टार्गेट यही होते हैं। वो उन्हें क्यूआर कोड्स भेजते हैं और स्कैन करके हॉलिडे डिस्काउंट्स, ऑनलाइन सेकंड हैंड्स सामानों की सेल आदि का ऑफर देते हैं। एक बार आपके फाइनैंशल डीटेल्स उनके कंट्रोल में आ जाए, फिर तो वो आपका खाता खाली करने में सक्षम हो जाते हैं।
सवाल उठता है कि आखिर ऐसी धोखाधड़ी का शिकार होने से बचने के लिए क्या किया जाए, किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए। ध्यान रहे कि आपके गलत क्यूआर स्कैन करने से न केवल फाइनैंशल डीटेल्स बल्कि पूरा फोन ही दूसरे के कंट्रोल में चला जाता है। अगर आपके फोन में कुछ सेंसिटिव फोटो, वीडियोज या कोई डॉक्युमेंट्स पड़े हैं तो वो भी दूसरे के कंट्रोल में आ जाता है। बहरहाल जानते हैं कि ऐसी धोखाधड़ी से कैसे बचा जाए…
पहला- अज्ञात फोन नंबर या फिर किसी कंपनी के नाम से भेजे गए लिंक्स पर क्लिक करने से बचें।
दूसरा- जब तक भेजने वाले के बारे में सही जानकारी नहीं हो, कभी वॉट्सऐप पर भेजा गया क्यूआर कोड स्कैन नहीं करें, टेक्स्ट मेसेज या लिंक पर क्लिक नहीं करें।
तीसरा- फर्जीवाड़े का थोड़ा सा भी संदेह हो तो तुरंत ईमेल और बैंक अकाउंट्स के पासवर्ड बदलिए।
लेकिन अगर आप फर्जीवाड़े का शिकार हो चुके हैं, तब क्या करें?
पहला- अगर आपका पैसा लुट गया है तो तुरंत 1930 डायल करें और मामले की रिपोर्ट दर्ज कराएं।
दूसरा- www.cybercrime.gov.in पर जाकर भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं।
तीसरा- पास के साइबर पुलिस स्टेशन जाएं और शिकायत दर्ज कराएं।
चौथा- जिस बैंक के खाते से पैसे निकले हैं, उसके नजदीकी ब्रांच में जाकर डीटेल वेरिफाई करें और अपने कार्ड्स फ्रीज करवाएं।
पांचवां- कृपया digicon@timesgroup.com पर मेल करके भी सारी बातें बताएं। अगर आप अनुमति देंगे तो आपकी पहचान बताई जाएगी वरना हम आपके साथ हुए धोखे की कहानी प्रकाशित करेंगे ताकि दूसरे लोगों को सीख मिले। इस तरह हरेक घटना से समाज में जागरुकता फैलाई जा सकेगी।
तुरंत एक्ट नहीं करें, छानबीन की आदत डालें
ध्यान रहे कि ज्यादातर फ्रॉड क्यूआर कोड के जरिए क्रेडिट कार्ड पॉइंट्स रिडेंप्शन, छूट पर हॉलिडे पैकेज बुकिंग आदि के नाम पर होते हैं। आप अगर सतर्क रहेंगे तो संदेह हो जाएगा कि कुछ तो गड़बड़ है। अगर ऑनलाइन सर्विस यूज कर रहे हैं तो सुरक्षा की बुनियादी जानकारियां भी आपको होनी चाहिए। साथ ही, तुरंत एक्ट करने की जगह छानबीन की आदत से आप फर्जीवाड़े से बच सकते हैं।
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