बीएनपी न्यूज डेस्क।27 सितंबर 2018 को भंडार गृह के पास निर्माण कार्य होने के दौरान धमक से स्वर्ण शिखर से सोना टूटकर गिरा तो प्रशासन की ओर से पहली बार बाबा दरबार में सोने से मढे़ पत्तलों की चिंता हुई। इसके बाद कारिडोर का निर्माण चल ही रहा था कि निर्माण के आखिर में परिसर को दर्शन के लिए 29 नवंबर 2021 से एक दिसंबर 2021 तक के लिए बंद कर दिया गया और इस दौरान अनाधिकारिक तौर पर माना गया कि इस दौरान मंदिर में गर्भगृह में सोने से संबंंधित कार्य पूरे किए गए थे। वहीं इसके बाद जनवरी 2022 से फरवरी 2022 तक के बीच पूरा गर्भगृह सोने से मढ़ दिया गया।
वैसे बाबा दरबार में समय समय पर श्रद्धालु सोने को मनौती पूरी होने के बाद चढ़ाते ही रहे हैं। बीते दिनों अन्नपूर्णा की मूर्ति आई तो उस पर भी सोना लोगों ने चढ़ाया था। वैसे बाबा दरबार में सोना चढ़ाने पर उसे सुरक्षित रख दिया जाता है। पूर्व में बाबा दरबार के शिखर पर 22.5 मन के करीब सोना लगा हुआ था। अब नए सिरे से गर्भगृह में 120 किलो सोना और जुड़ने के बाद कुल 1020 किलो सोना बाबा दरबार के शिखर और गर्भगृह में पत्तर के रूप में मढ़ा जा चुका है। जबकि अन्य कई कार्य और सोने से किए जाने प्रस्तावित हैं जिनमें चौखट का भी हिस्सा शामिल है।
मुख्य मंदिर को स्वर्ण मंदिर का अब पूरी तरह से रूप दिया जा रहा है। इसकी भीतरी दीवारों पर नीचे से ऊपर तक सोने के पत्तर मढ़े जा चुके हैं। अब पहली बार महाशिवरात्रि पर इसे भक्तों के लिए खोल दिया गया है। पर्व के बाद चौखट और फिर बाहरी दीवारों पर भी अगले चरण में सोने के पत्तर मढ़े जाएंगे। दक्षिण भारत के एक श्रद्धालु के गुप्त सहयोग से इस पर 120 किलोग्राम सोना मढ़ा जा रहा है। इसकी लागत लगभग 60 करोड़ आंकी जा रही है। इस दिशा में कार्य 12 जनवरी से शुरू हुआ था और सांचा आदि बनाने के बाद तीन दिनों में ही 10 स्वर्ण कारीगरों सोने के पत्तर मढ़ दिए।
वहीं 17 वीं सदी के दौरान इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने वर्ष 1777 में वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया, जिसके दो शिखरों को स्वर्ण मंडित कराने के लिए पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में साढ़े 22 मन सोने को मंदिर में दान किया था। यह मंदिर के इतिहास में पहला मौका था जब सोना यहां पर दान किया गया था। इसके बाद मंदिर में सोने की दान की परंपरा आज तक चली आ रही है। पूर्व में कई दशक पहले लगे स्वर्ण पत्र धूमिल हो गए थे। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले विशेषज्ञ कारीगरों की मदद से सफाई भी कराई गई थी।
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