BNP NEWS DESK। Ramcharitmanas एक और जहाँ देशभर में Ramcharitmanas को लेकर विवादित बयान देने का दौर चल रहा है वहीं दूसरी और जैसे-जैसे श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मन्दिर आकार ले रहा है।
ठीक उसी तरह भगवान राम के जीवन एवं रामायण को केंद्र बनाकर उसे शिक्षा व्यवस्था से भी जोड़ने का काम तेजी पर है। भगवान राम के जीवन पर शुरू हुए विश्व के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल ऑफ राम ने हालही में रामचरितमानस में भौतिक विज्ञान नामक एक प्रमाणपत्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की है।
Ramcharitmanas महान गणितज्ञ,भौतिक विज्ञानी एवं दार्शनिक सर आइजक न्यूटन ने भले ही वर्ष 1687 में अपने शोध पत्र “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत” से गुरुत्वाकर्षण और गति के नियमों की गुत्थी सुलझा दी थी और यह भी साबित किया था कि कि सभी सिद्धांत प्रकृति से जुड़े हैं।
इसके बावजूद आज भी गणित,भौतिक आदि विज्ञान के बुनयादी सिद्धांतों की जटिलता बनी हुई है। स्कूल ऑफ राम इन्हीं विज्ञान के सिद्धांतों के सिरे अब श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से खोलने जा रहा है।
स्कूल ऑफ राम द्वारा “रामचरितमानस में भौतिक-विज्ञान”
विषय पर एक माह के सर्टिफिकेट कोर्स का पाठ्यक्रम तैयार किया गया
स्कूल ऑफ राम के संस्थापक संयोजक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम.ए हिन्दू स्टडीज में अध्यनरत छात्र प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि इस कोर्स में अभ्यार्थियों को भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों गति के नियम,प्रकाशिकी,धर्षण,वाष्पीकरण,मृगमरीचिका,वैमानिकी,इंजिनियरी,उर्जा,चुम्बकत्व आदि को रामचरितमानस की चौपाइयों से समझाया जाएगा।
इस कोर्स की सबसे खास बात यह भी होगी इन चौपाइयों को भौतिक विज्ञान के प्रयोगों के माध्यम से भी समझाया जाएगा। यह अपने आप मे पहला ऐसा अनोखा प्रयास होगा जब किसी धार्मिक ग्रंथ को वैज्ञानिक प्रयोग अथार्त प्रैक्टिकल के माध्यम से भी समझाया जाए।
उदाहरण के तौर पर स्कूल ऑफ राम के प्रिंस का कहना है कि जैसे
तृषा जाई वरु मृगजल नाना।
वरु जामहिं सर सीस निधाना।।
उक्त चौपाई में उल्लेखित मृगमरीचिका को प्रकाशिकी के अपवर्तन सिद्धांत से समझाया जाएगा।
इसी प्रकार से
न्यूटन के गति के तीसरे नियम “क्रिया प्रतिक्रिया को
बार-बार रधुवीर संभारी।
तरकेउ पवन तनय बल भारी।
जेहिं गिरी चरन देह हनुमंता।
चलेउ सा गा पाताल तुरंता।।
से समझाया जाएगा।
इस चौपाई को समझाने के लिए क्रिया प्रतिक्रिया एवं संवेग के सिद्धांत पर आधारित हाइड्रोक्लोरिक एवं एथेन रॉकेट के प्रयोग का सहारा किया जाएगा।
ऑनलाइन शुरू होगा यह कोर्स, कोई भी व्यक्ति किसी भी आयुवर्ग के महिला,पुरुष इस पाठ्यक्रम का हिस्सा बन सकते
टीवी पर रामायण सीरियल देखने और रामचरितमानस का पाठ करने वालों ने सुना-पढ़ा होगा कि भगवान श्रीराम के दौर में राम नाम लिखे पत्थर भी पानी पर तैरते थे, जिसे रामसेतु के नाम से जाना जाता है। लंकेश रावण भी पुष्पक विमान में उड़ता था। लेकिन देश की युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति के इस पुरातन विज्ञान को दिनों-दिन भूलती जा रही।
इस ज्ञान-विज्ञान को अविस्मरणीय बनाने के लिए स्कूल ऑफ राम द्वारा जोर-शोर से प्रयास किए जा रहे हैं।
आगे भी निरंतर शोध कार्य जारी है,अभी आगामी दिनों में स्कूल ऑफ राम द्वारा कई और कॉर्स भी शुरू किए जाएंगे।
The Review
Ramcharitmanas
एक और जहाँ देशभर में रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देने का दौर चल रहा है वहीं दूसरी और जैसे-जैसे श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मन्दिर आकार ले रहा है।
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