BNP NEWS DESK। Subhash Festival दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में महिलाओं के अधिकारों की वकालत करते हुए विवाह के बाद उनको परिवार की साम्राज्ञी का दर्जा दिया गया है। बदलते दौर में विवाह को दहेज की भेंट चढ़ाकर स्त्री को पीछे धकेल दिया गया। कुछ लोग महिलाओं को केवल उपभोग की वस्तु समझने लगे, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोग अपनी संस्कृति और वैदिक परम्पराओं से दूर होते चले गए।
Subhash Festival भारतीय आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर विशाल भारत संस्थान द्वारा लमही के इन्द्रेश नगर में आयोजित 5 दिवसीय सुभाष महोत्सव का शुभारम्भ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने सुभाष मन्दिर में माल्यार्पण कर एवं सुभाष ज्योति जलाकर किया।
सुभाष महोत्सव के प्रथम दिन महिलाओं के अधिकारों एवं उनके योगदान पर चर्चा के लिए महिला अधिवेशन का आयोजन सुभाष भवन लमही में किया गया। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा को बाल आजाद हिन्द बटालियन ने सलामी दी।
विशाल भारत संस्थान द्वारा आयोजित सुभाष महोत्सव में मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा, वाराणसी के जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष जी ने संयुक्त रूप से आत्म प्रकाश सिंह द्वारा महिला अधिकारों पर लिखित पुस्तक का विमोचन किया। Subhash Festival
महिलाओं के संदर्भ में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को न्यायमूर्ति ने सम्मानित किया, जिसमें डॉ शिप्रा धर को बेटियो के स्वभिमान, डॉ० संतोष ओझा को गर्भ में मारी जा रहीं बेटियों को बचाने, डॉ मुक्ति पाण्डेय को पशुओं की सेवा के लिये एवं कृषि कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु दिलीप कुमार सिंह को पुरस्कृत किया गया।
महिलाओं ने आजादी के आन्दोलन में अपना योगदान दिया
महिला अधिवेशन में मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने विषय प्रस्तावना रखा। नेशनल कोऑर्डिनेटर आभा भारतवंशी ने कहा कि ऋग्वेद में महिलाओं को सर्वोच्च अधिकार दिए गए, लेकिन कुछ लोगों ने महिलाओं को निजी सम्पत्ति से अधिक कुछ नहीं समझा। महिलाओं ने केवल अधिकारों की बात नहीं की, बल्कि आजादी के आन्दोलन में अपना योगदान भी दिया। नेताजी सुभाष के साथ वे सैनिक बनाकर हथियार के साथ अंग्रेजों से लडीं।
विशाल भारत संस्थान महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान के लिये काम कर रहा है
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने देश को आजाद कराने के लिए भारतीय बेटियों की सेना बनाकर दुनियां को आश्चर्य चकित कर दिया। आजादी के आन्दोलन में भाग लेने वाली महिलाएं केवल अपने अधिकारों की लड़ाई नहीं लड़ रही थी, बल्कि देश को आजाद कराने और भारत को मजबूत करने के लिए अपना योगदान दे रही थीं।
आज बेटियों ने शोषणकर्त्ताओं को खुलकर चुनौती दी हैं। जरूरत है इनके हौसला अफजाई की। विशाल भारत संस्थान महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान के लिये काम कर रहा है और उनको हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतू अभियान चला रहा है।
महिला अधिवेशन में अपना विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने कहा कि देश की न्यायपालिका महिलाओं को सशक्त करने के सम्पूर्ण अधिकार प्रदान करती है। महिलाओं में केवल अपने अधिकार और कानून के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्हें सशक्तिशाली बनाने के लिये हर सम्भव कोशिश करूंगा।
अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रवादी विचारक रामाशीष जी ने कहा कि हमारे देश की महिलाओं को भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने आपको सशक्तिशाली बनाने का प्रयास करना चाहिये। पश्चिमी संस्कृति की अंधी दौड़ से दूर रहने की जरूरत है। अधिकारों के साथ–साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिये।
महिला अधिवेशन का संचालन डॉ अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद डॉ नजमा परवीन ने दिया।
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Subhash Festival
दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में महिलाओं के अधिकारों की वकालत करते हुए विवाह के बाद उनको परिवार की साम्राज्ञी का दर्जा दिया गया है।
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