बीएनपी न्यूज डेस्क। PM Narendra Modi प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूरोप के तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में सोमवार को जर्मनी पहुंचे, जहां वह जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे तथा भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श कार्यक्रम की सह अध्यक्षता करेंगे। मोदी ने यहां पहुंचने पर ट्वीट किया, ‘‘ बर्लिन पहुंच गया। आज मैं चांसलर ओलाफ शॉल्ज से बातचीत करूंगा, कारोबारी दिग्गजों से मुलाकात करूंगा और समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करूंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि इस यात्रा से भारत और जर्मनी के बीच मित्रता प्रगाढ़ होगी।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ बर्लिन में अभी सुबह थी,तब भी भारतीय समुदाय के कई लोग यहां पहुंचे। उनसे बातचीत करके अच्छा लगा। भारत हमारे समुदाय की प्रवीणता पर गौरवान्वित है।’’ प्रधानमंत्री की शॉल्ज के चांसलर बनने के बाद उनसे यह पहली मुलाकात होगी।
मोदी और ओलाफ छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता करेंगे। आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है। इस कार्यक्रम में दोनों देशों के कई मंत्री भी हिस्सा लेंगे।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी बैठक में हिस्सा लेंगे।
रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि बर्लिन की उनकी यात्रा चांसलर शॉल्ज से बातचीत का अवसर प्रदान करेगी जिनसे उन्होंने पिछले वर्ष जी20 में मुलाकात की थी,तब वह वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) की सह अध्यक्षता करेंगे, यह एक विशिष्ट कार्यक्रम है जिसे भारत केवल जर्मनी के साथ करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं इस आईजीसी को जर्मनी की नयी सरकार के साथ बातचीत की पहल के तौर पर देखता हूं, जो सरकार के गठन के छह माह के भीतर हो रही है। इससे मध्यम और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2021में भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया और देशों देश 2000 से सामरिक साझेदार हैं।
उन्होंने कहा ,‘‘मैं दोनों देशों के बीच रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक विकास से जुड़े मुद्दों पर चांसलर शॉल्ज के साथ बातचीत करने को लेकर उत्सुक हूं।’’ दोनों नेता एक उच्च स्तरीय बैठक को भी संबोधित करेंगे और दोनों देशों की शीर्ष कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा ,‘‘ भारत और जर्मनी के बीच दीर्घकालिक वाणिज्यिक संबंध हमारी रणनीतिक साझेदारी का एक स्तंभ है,चांसलर शॉल्ज और मैं मिलकर ‘बिजनेस राउंड टेबिल’ को भी संबोधित करेंगे। इसका लक्ष्य हमारे उद्योगों के बीच समन्वयन में नयी ऊर्जा पैदा करना है जिससे हमें दोनों देशों के बीच कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार में मदद मिलेगी।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह ‘राउंड टेबल’ हमारे व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगी।
प्रधानमंत्री का जर्मनी में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा भारत जर्मनी के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने का भविष्य का खाका तैयार करेगी।
गौरतलब है कि बर्लिन के बाद प्रधानमंत्री तीन मई को डेनमार्क जाएंगे जहां वह अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। वहां वह द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे।
मोदी और ओलाफ छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता करेंगे। आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है। इस कार्यक्रम में दोनों देशों के कई मंत्री भी हिस्सा लेंगे।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी बैठक में हिस्सा लेंगे।
रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि बर्लिन की उनकी यात्रा चांसलर शॉल्ज से बातचीत का अवसर प्रदान करेगी जिनसे उन्होंने पिछले वर्ष जी20 में मुलाकात की थी,तब वह वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) की सह अध्यक्षता करेंगे, यह एक विशिष्ट कार्यक्रम है जिसे भारत केवल जर्मनी के साथ करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं इस आईजीसी को जर्मनी की नयी सरकार के साथ बातचीत की पहल के तौर पर देखता हूं, जो सरकार के गठन के छह माह के भीतर हो रही है। इससे मध्यम और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2021में भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया और देशों देश 2000 से सामरिक साझेदार हैं।
उन्होंने कहा ,‘‘मैं दोनों देशों के बीच रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक विकास से जुड़े मुद्दों पर चांसलर शॉल्ज के साथ बातचीत करने को लेकर उत्सुक हूं।’’ दोनों नेता एक उच्च स्तरीय बैठक को भी संबोधित करेंगे और दोनों देशों की शीर्ष कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा ,‘‘ भारत और जर्मनी के बीच दीर्घकालिक वाणिज्यिक संबंध हमारी रणनीतिक साझेदारी का एक स्तंभ है,चांसलर शॉल्ज और मैं मिलकर ‘बिजनेस राउंड टेबिल’ को भी संबोधित करेंगे। इसका लक्ष्य हमारे उद्योगों के बीच समन्वयन में नयी ऊर्जा पैदा करना है जिससे हमें दोनों देशों के बीच कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार में मदद मिलेगी।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह ‘राउंड टेबल’ हमारे व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगी।
प्रधानमंत्री का जर्मनी में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा भारत जर्मनी के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने का भविष्य का खाका तैयार करेगी।
गौरतलब है कि बर्लिन के बाद प्रधानमंत्री तीन मई को डेनमार्क जाएंगे जहां वह अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। वहां वह द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे।
Discussion about this post