BNP NEWS DESK। Rajiv Gandhi Assassination शनिवार को, 31 सालों की सजा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की दोषी नलिनी श्रीहरन को जेल से रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही इस हत्याकांड के सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। नलिनी श्रीहरन, उसके पति मुरुगन और संथन को शनिवार शाम को वेल्लोर जेल से औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया। नलिनी ने पैरोल शर्तों के मुताबिक सुबह में एक स्थानीय पुलिस थाने में अपनी हाजिरी भी लगाई।
कांग्रेस ने रिहाई के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। नलिनी के अलावा उसके पति वी. श्रीहरन उर्फ मुरुगन, आर.पी. रविचंद्रन, संतन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को दोषी ठहराया गया था। श्रीहरन, संतन, रॉबर्ट और जयकुमार श्रीलंकाई नागरिक हैं जबकि नलिनी और रविचंद्रन तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं।
21 मई 1991 की घटना
Rajiv Gandhi Assassination 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी मारे गए थे। महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें पेरारिवलन, मुरुगन, संथन, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और नलिनी श्रीहरन शामिल थे।
कैसे हुई नलिनी की रिहाई
दरअसल, नलिनी ने समय से पहले रिहाई की मांग को लेकर अदालत का रुख किया था। मद्रास हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि वह राजीव गांधी हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पूर्व रिहाई के पक्ष में है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने एक अन्य दोषी, एजी पेरिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया। 18 मई को, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पेरिवलन की रिहाई के आदेश दिए थे। उसी के आधार पर सुप्रीम ने सभी 6 दोषियों को रिहा करने का फैसला सुनाया।
अदालत ने यह भी कहा कि तमिलनाडु कैबिनेट ने 2018 में राज्यपाल से दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी और राज्यपाल इसके लिए बाध्य थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने ‘संतोषजनक व्यवहार’ किया, डिग्री हासिल की, किताबें लिखीं और समाज सेवा में भी भाग लिया।
ऐसे हुई थी पूर्व पीएम की हत्या
- 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी मारे गए थे। महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें पेरारिवलन, मुरुगन, संथन, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और नलिनी श्रीहरन शामिल थे।
- 1998 में टाडा अदालत ने पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा सुनाई थी। राहत नहीं मिलने के बाद पेरारिवलन और अन्य दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा। 2014 में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
- 2008 में जब जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं, तो उन्होंने कैबिनेट से सातों दोषियों की रिहाई के लिए प्रस्ताव पास किया। जिसे राज्यपाल को भेजा गया था। राज्यपाल ने उसे राष्ट्रपति के पास भेजा। तब से ये मामला लंबित था। 2018 में फिर से तमिलनाडु सरकार ने दोषियों की रिहाई के लिए प्रस्ताव पास करके राज्यपाल के पास भेजा था।
- इस बीच दोषी पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी साल मई में पेरारिवलन की याचिका पर सुनवाई करते हुए अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए रिहा कर दिया। इसके बाद अन्य छह दोषियों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को पेरारिवलन के मामले में दिए गए फैसले को अन्य सभी दोषियों पर लागू करने का आदेश दिया।
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Rajiv Gandhi Assassination
शनिवार को, 31 सालों की सजा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की दोषी नलिनी श्रीहरन को जेल से रिहा कर दिया गया।
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