BNP NEWS DESK। Maha Kumbh 2025 जीवनदायिनी गंगा, श्यामल यमुना व पौराणिक सरस्वती के पावन संगम में महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति पर पुण्य की डुबकी लगनी शुरू हो गई है। सोमवार शाम से ही श्रद्धालुओं का रेला पौष पूर्णिमा पर डुबकी लगाने जुटा और अमृत स्नान के लिए ढहर गया। मकर संक्रांति के महास्नान के लिए देश-दुनिया से संतों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों का सागर उमड़ पड़ा है। लगभग 12 किलोमीटर में फैले 44 स्नान घाटों पर आधी रात से ही तीर्थ यात्रियों से पट गए हैं।
Maha Kumbh 2025 ग्रह-राशियों के योग-संयोग से सजे वैदिक महाकुंभ की पुण्य बेला में अगाध श्रद्धा का महाकलश छलका। इहलोक से परलोक संवर जाने, अमरत्व पाने की आकांक्षा से 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने सूर्य के उत्तरायण में आने पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। श्रद्धा और आस्था की अतुलित माया ने जनसागर के सरिता में उतर जाने का आभास कराया। पुण्य अमृत की बूंदों से तन-मन भीगा तो पोर-पोर विभोर और गीली हो उठी पलकों की कोर। अनुभूति में अध्यात्म की गहराई, जैसे जुड़ गई हो आत्म से परमात्म की डोर।
पौष पूर्णिमा इस बार सोमवार को थी और उससे ही संलग्न मकर संक्रांति के अनूठे संयोग पर देश भर से जुटे श्रद्धालुओं ने पुण्यार्जन के दोहरे योग का सौभाग्य पाया। अमृत स्नान के लिए अस्त्र-शस्त्र और पूरी साज-सज्जा के साथ निकले संतों-संन्यासियों के आध्यात्मिक वैभव के साक्षी बन विभोर हुए और उनकी चरण रज को सिर-माथे लगा कर अघाया।
वैदिक महाकुंभ में अटल संदेश गुंजाया जिसमें पूरा देश एक हो आया
आध्यात्मिक अनुभूति के साथ गौरव का पल जिसने आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्स्थापित वैदिक महाकुंभ में अटल संदेश गुंजाया जिसमें पूरा देश एक हो आया। कदाचित महान संत की संकल्पना से अनुप्राणित सरोकार के तहत ‘शाही’ से इस बार ‘अमृत’ हो गए स्नान ने गौरव का भाव जगाया। यह रथों-बग्घियों और सुसज्जित वाहनों के काफिले में भोर से ही संगम की ओर बढ़ चले संतों-संन्यासियों के साथ उनके दर्शन के लिए जुटे-डटे हर सनातन धर्मावलंबी चेहरे पर भी स्पष्ट झलक आया।
जय श्रीराम, जय गंगा मैय्या और हर-हर महादेव के जयघोष से महाकुंभ नगर आनंद और श्रद्धा से उल्लासित है। सिर पर गठरी, कांधे पर झोला। एक -दूसरे का हाथ थामे महिलाओं और पुरुष श्रद्धालुओं का रेला, संगम तट की ओर अनंत वेग से बढ़ता ही जा रहा है। विदेशी श्रृद्धालु भी इस अद्भुत श्रद्धा के उमड़े सागर को देख अभिभूत हैं। सनातन धर्म के वैभव के प्रतीक अखाड़े आकर्षण का केंद्र होंगे। कुछ ही देर में 13 अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, नागा संन्यासी धर्मध्वजा थामकर त्रिवेणी तट पर स्नान करेंगे।
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