Bnp News Desk : Twin Tower आखिरकार रविवार को नोएडा के सेक्टर 93-ए स्थित ट्विन टॉवर मलबे के ढेर में तब्दील हो ही गया. यह पहली बार भारत में हुआ, जब इतनी ऊंची बिल्डिंग को गिराया गया. इससे पहले देश में ऐसा नहीं हुआ था. यह बिल्डिंग निजी डेवलपर सुपरटेक बना रही थी और उसके खिलाफ स्थानीय लोगों ने वादा खिलाफी का आरोप लगाया था. 2010 से शुरू हुई लड़ाई 2022 में अब जाकर पूरी हो गई.
दरअसल, 2004 में जब इस टॉवर को बनाने की परमिशन सुपरटेक को मिली, तब उसने लोगों से कई सारे वादे किए. बहुत से ख्वाब दिखाए, मगर करीब 18 साल बाद रविवार, 28 अगस्त 2022 को सुपरटेक के ये सारे वादे जमींदोज हो गए और शहर का प्रतीक, सबसे ऊंची बिल्डिंग पर खड़े होकर नोएडा का नजारा देखने जैसे बहुत से वादे और दावे आज सेक्टर 93-ए की सड़क पर धूल फांक रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन टावरों को गिराने की कार्रवाई की गई. दरअसल इन टावरों को निर्माण शर्तों का उल्लंघन कर किया गया था. नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था. सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. हालांकि, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे. इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है. साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट में 7 साल चली सुनवाई
Twin Tower इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट में करीब 7 साल तक पूरा मामला चला. 31 अगस्त 2021 को कोर्ट ने सुपरटेक को बड़ा झटका देते हुए रेजिडेंट्स के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने तीन महीने के अंदर दोनों टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. हालांकि कुछ कारणों से इसकी तारीख तीन बार आगे बढ़ाई जा चुकी है.
500 करोड़ रुपए मिट्टी में मिल गए, जैसा आदेश था वैसा ही तो बनाया था
इससे पहले, वर्ष 2020 में केरल में झील किनारे बने अपार्टमेंट को ध्वस्त कर दिया गया था. इन्हें पर्यावरण नियमों के विपरित माना गया, जिसके बाद ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए गए थे. वहीं, ट्विन टॉवर के मिट्टी में मिलने के बाद सुपरटेक ने एक बयान जारी किया है. कंपनी की ओर से कहा गया कि इसका निर्माण नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी की मंजूरी मिलने के बाद ही किया गया था. जैसा आदेश मिला था, वैसा ही बनाया गया था, इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी.
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Twin Tower आखिरकार रविवार को नोएडा के सेक्टर 93-ए स्थित ट्विन टॉवर मलबे के ढेर में तब्दील हो ही गया. यह पहली बार भारत में हुआ, जब इतनी ऊंची बिल्डिंग को गिराया गया. इससे पहले देश में ऐसा नहीं हुआ था. यह बिल्डिंग निजी डेवलपर सुपरटेक बना रही थी और उसके खिलाफ स्थानीय लोगों ने वादा खिलाफी का आरोप लगाया था. 2010 से शुरू हुई लड़ाई 2022 में अब जाकर पूरी हो गई.
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