Bnp News Desk। Khalistani Terrorists खालिस्तान कमांडो फोर्स के स्वयंभू प्रमुख और कुख्यात आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़ की पाकिस्तान के शहर लाहौर में हत्या कर दी गई। मोटरसाइकिल पर आए दो अज्ञात हमलावरों ने 63 वर्षीय पंजवड़ को शनिवार सुबह उस समय गोली मार दी, जब वह अपनी सोसाइटी में टहल रहा था।
Khalistani Terrorists नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी और अन्य आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहा पंजवड़ 2020 में भारत सरकार की ओर से जारी आतंकियों की सूची में आठवें स्थान पर था।
भिंडरांवाला के संपर्क में रहे पंजवड़ की पत्नी जर्मनी में अपने दो बेटों मनबीर सिंह (22) और राजन सिंह (20) के साथ रहती थी। छह माह पहले उसकी भी वहां मौत हो चुकी है। पंजवड़ नाम बदलकर पाकिस्तान में रह रहा था।
तरनतारन जिले के पंजवड़ गांव के रहने वाले परमजीत सिंह पंजवड़ के खिलाफ पंजाब के तीन जिलों के नौ थानों में टाडा सहित कई अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज हैं।
हत्या, लूटपाट, रंगदारी, अपहरण के अलावा पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों पर बम फेंकने और राकेट लांचरों से हमले में शामिल रहा पंजवड़ 30 वर्ष से वांछित था। उस पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था, लेकिन 1992 में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो वह पाकिस्तान भाग गया।
पंजवड़ का चचेरा भाई लाभ सिंह फरवरी, 1986 में अस्तित्व में आए खालिस्तान कमांडो फोर्स का चीफ बना। 1986 में लाभ सिंह की मुठभेड़ में मौत के बाद परमजीत ने 1990 में खुद को केसीएफ का चीफ घोषित कर दिया। इससे पहले वह सहकारी कोआपरेटिव बैंक की सोहल शाखा में तैनात था।
पाक से चला रहा था भारत विरोधी गतिविधियां
पंजवड़ पाकिस्तान में बसे बब्बर खालसा इंटरनेशल के प्रमुख वधावा सिंह, इंडियन सिख यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष लखबीर सिंह रोडे के साथ मिलकर पंजाब में फिर आतंकवाद को हवा दे रहा था। वह पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थों और हथियारों की सप्लाई से मिलने वाले पैसे से ही केसीएफ को जीवित रखने की कोशिश कर रहा था।
पंजाब में सक्रिय ए व बी श्रेणी के गैंगस्टरों की भी मदद कर रहा था। वह आतंकियों को हथियार प्रशिक्षण देने के साथ ही वीआइपी और आर्थिक प्रतिष्ठानों को लक्षित करने के लिए भारत में हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति और घुसपैठ में लगा हुआ था। वह अल्पसंख्यकों को भड़काने के उद्देश्य से रेडियो पाकिस्तान पर अत्यधिक देशद्रोही और अलगाववादी कार्यक्रमों के प्रसारण में भी शामिल था।
परिवार को मीडिया से मिली हत्या की जानकारी
पंजवड़ के भाई बलदेव सिंह और सरबजीत सिंह गांव में खेती करते हैं, जबकि तीसरा भाई अमरजीत सिंह बैंक से रिटायर हुआ है।
पंजवड़ का एक अन्य भाई राजविंदर सिंह और मां महिंदर कौर पुलिस के हाथों मारे गए थे। सरबजीत ने बताया कि वर्षों से उनकी परमजीत के साथ बातचीत नहीं हुई। परिवार को मीडिया से उसकी हत्या के बारे में पता चला है।
पंजवड़ ने कराई थी शौर्यचक्र विजेता संधू की हत्या
पंजवड़ ने ही तरनतारन में 2020 में शौर्यचक्र विजेता बलविंदर सिंह संधू की हत्या कराई थी। संधू ने आतंकियों के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से पंजवड़ उनसे खार खाए था। 30 जून, 1999 में चंडीगढ़ में पासपोर्ट कार्यालय के पास हुए विस्फोट में भी पंजवड़ का हाथ था।
पंजवड़ पर पूर्व जनरल एएस वैद्य की हत्या, 1987 में लुधियाना के मिलरगंज स्थित पंजाब नेशनल बैंक में 5.70 करोड़ रुपये की डकैती में शामिल होने के भी आरोप हैं। फिरोजपुर में 1988 में हुए विस्फोट में 10 लोगों की मौत होने के मामले में भी उसका नाम जुड़ा था।
विदेश में निशाना बने भारत विरोधी दहशतगर्द
20 फरवरी, 2023 को रावलपिंडी में हिजबुल के इम्तियाज आलम उर्फ बशीर अहमद पीर की अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी थी। वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में जुटा था।
26 फरवरी को कराची में अल बदर के पूर्व कमांडर सैयद खालिद राजा की हत्या कर दी गई थी। उसके सिर में गोली मारी गई थी। वह जम्मू कश्मीर का अल बदर का कमांडर रह चुका था।
22 फरवरी को जम्मू कश्मीर में आइएस का नेटवर्क मजबूत करने में जुटे अजाज अहमद अहंगर की काबुल में हत्या कर दी गई। वह अफगानिस्तान में बसा हुआ था। केंद्र सरकार ने उसे चार जनवरी को मोस् वांटेड आतंकी की सूची में शामिल किया था। 1996 में कश्मीर की जेल से छूटने के बाद से वह फरार था। माना जा रहा है कि तालिबान ने उसकी हत्या कर दी।
चार मार्च को पाकिस्तान के खैबरपखतून क्षेत्र में आतंकी सैयद नूर शोलाबर की हत्या कर दी गई। वह अफगानिस्तान में भी सक्रिय रहा था और जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के विस्तार के लिए पाकिस्तान की मदद कर रहा था। वह भी वांछित आतंकियों की सूची में शामिल था।
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Khalistani Terrorists खालिस्तान कमांडो फोर्स के स्वयंभू प्रमुख और कुख्यात आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़ की पाकिस्तान के शहर लाहौर में हत्या कर दी गई।
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