BNP NEWS DESK। interim budget 2024 बजट चुनावी नहीं है और प्रत्यक्ष लक्ष्य भी आगामी लोकसभा चुनाव नहीं दिखता, लेकिन मोदी सरकार के निर्णय इस संभावना को जरूर मजबूत करते नजर आते हैं कि मातृशक्ति उसे ‘रिटर्न गिफ्ट’ में चुनावी बल देने में संकोच नहीं करेगी।
interim budget 2024 तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने सहित आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाते हुए उसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर को शामिल करने जैसी घोषणाएं, सीधे तौर पर उन 49 प्रतिशत महिला मतदाताओं को सकारात्मक संदेश देती हैं जो 2024 के आम चुनाव में ‘भाग्य विधाता’ साबित हो सकती हैं।
सरकार की योजनाएं, कार्यक्रम और प्रयास इनके इर्दगिर्द सटते दिखाई भी दे रहे
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले गहरे होते जातियों के जंजाल को भेदते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब, युवा, किसान और महिलाओं को अपनी प्राथमिकता वाली चार जातियां बताकर बड़ा दांव चल दिया है। सरकार की योजनाएं, कार्यक्रम और प्रयास इनके इर्दगिर्द सटते दिखाई भी दे रहे हैं। इनमें ही सबसे प्रमुख वर्गों में महिलाएं शामिल हैं, जिनके प्रति अंतरिम बजट में भी सरकार ने भरपूर चिंता जाहिर की है। interim budget 2024
दरअसल, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्वयंसहायता समूहों का विस्तार करते हुए उनसे महिलाओं को जोड़कर आत्मनिर्भर व सक्षम बनाने के सतत प्रयास चल रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने यानी स्वयंसहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की वार्षिक आय कम से कम एक लाख रुपये पहुंचाने की दिशा में काम शुरू किया। जब यह संख्या एक करोड़ के करीब पहुंचने वाली थी, इसी बीच 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा कर दी कि दो करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जाए।
नमो ड्रोन दीदी कार्यक्रम भी जोड़ा गया
इसी कार्यक्रम से नमो ड्रोन दीदी कार्यक्रम भी जोड़ा गया। यह कार्यक्रम चल ही रहा था कि सरकार ने अंतरिम बजट में इस लक्ष्य को दो करोड़ से बढ़ाते हुए घोषणा कर दी कि तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जाएगा। सरकार ने दावा किया है कि नौ करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख स्वयंसहायता समूह (एसएचजी) सशक्तीकरण और आत्मनिर्भर बनने के साथ ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिवेश में बदलाव ला रहे हैं। इनकी सफलता से पहले ही करीब एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने में मदद मिल चुकी है। वे दूसरों के लिए एक प्रेरणा हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी
उन्हें सम्मान देकर उनकी उपलब्धियों को मान्यता दी जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने घोषणा की है कि आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाते हुए सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
वहीं, मातृ एवं शिशु देखरेख की विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में तालमेल के लिए इन्हें एक व्यापक कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा। सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण-2.0 के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी लाई जाएगी।
इस निर्णयों से सरकार ने महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण के साथ ही उनके स्वास्थ्य के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है। सरकार के इन निर्णयों को उस चुनावी पैटर्न से भी जोड़कर देखा जा सकता है। भाजपा भी इस वर्ग को लेकर अधिक चिंतित और आशान्वित इसलिए भी है, क्योंकि एसबीआइ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में देश के कुल मतदाताओं में 49 प्रतिशत भागीदारी महिला मतदाताओं की होगी।
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interim budget 2024
बजट चुनावी नहीं है और प्रत्यक्ष लक्ष्य भी आगामी लोकसभा चुनाव नहीं दिखता, लेकिन मोदी सरकार के निर्णय इस संभावना को जरूर मजबूत करते नजर आते हैं
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