बीएनपी न्यूज डेस्क। तीन माह पूर्व झारखंड में बीजेपी नेता जीतराम मुंडा की हत्या के मामले में बुधवार को एसटीएफ व झारखंड पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मुन्ना बजरंगी गिरोह के शातिर अपराधियों को कैंट थाना क्षेत्र के मिंट हाउस तिराहे के पास से गिरफ्तार किया। इनके पास से वारदात में प्रयुक्त डस्टर कार व दो मोबाइल फोन बरामद किए गए। दोनों के पकड़े जाने से दोनों राज्यों की पुलिस ने राहत की सांस ली है। इन पर बीजेपी नेता की हत्या में शामिल शूटर अलीशेर को अपने यहां शरण देते हुए झारखण्ड पहुंचाने में सहयोग प्रदान करने का आरोप है।
आरोपितों ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद नीरज सिंह हत्याकाण्ड के आरोपित अमन सिंह के साथ मनोज मुंडा साल 2017 में जेल में बंद था। उसी के साथ डेविड उर्फ बलराम साहू पीईएफआइ नक्सली भी बंद था। उसी के माध्यम से मनोज की मुलाकात अमन से हुई थी। मनोज मुंडा की आपसी रंजिश जीतराम मुंडा से थी। जीत राम मुंडा ने मनोज मुंडा को एक मुकदमे में गवाही करके सात साल की सजा करवा दी थी। मनोज मुंडा इसी का बदला जीतराम मुंडा से लेना चाहता था। इसी क्रम में डेविड ने पांच लाख रुपये में अमन से मनोज मुंडा की बात जीतराम मुंडा की हत्या कराने का सौदा तय करा दिया। अमन ने राजीव कुमार सिंह व अजीत प्रताप सिंह के माध्यम से अलीशेर से बात की, जो कि उस समय उनके यहां रहकर फरारी काट रहा था। उसकी गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये का पुरस्कार घोषित था। उक्त दोनों ने मिलकर बरामद डस्टर कार से अलीशेर को डेहरीआनसोन तक छोडा था, जहां से अलीशेर मनोज मुंडा के घर साहेर(झारखण्ड) पहुंचा और वहां अपने साथी हेमंत यादव उर्फ डब्लु को बुला लिया था। इसके बाद गत 22 सितंबर को दोनों ने मिलकर आर्यन ढाबा पालू थाना ओरमांझी जनपद रांची में जीतराम मुंडा की गोलीमार कर हत्या कर दी थी। आरोपितों ने पूछताछ में यह भी बताया कि दोनों आपस में ममेरे भाई है और मुन्ना बजरंगी से इनका सम्बन्ध बहुत पुराना था। अजीत के पिता गजराज सिंह द्वारा मुन्ना बजरंगी को अपराध के शुरूआती दिनों में काफी सहयोग किया गया था और अपने यहां शरण दिया गया था। दोनों आरोपितों को झारखंड पुलिस द्वारा थाना कैंट में दाखिल कर आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा रही है।
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