बीएनपी न्यूज डेस्क। Fake notes recovered चंदौली जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने शुक्रवार की सुबह सटीक सूचना मिलने पर बलुआ थानाक्षेत्र के चहनिया-माधोपुर मार्ग से धानापुर जाते समय दो बाइकों पर सवार तीन अपराधियों को धर दबोचा। तलाशी में इनके पास से एक बड़े झोले में रखे 11 लाख 82 हजार 630 रुपये के जाली नोट बरामद हुए। बरामद रुपये में दो हजार, पांच सौ, सौ, पचास, बीस, व दस रुपयों की गड्डी है। साथ ही इनके पास से जाली नोट बनाने में प्रयुक्त प्रिटंर, सांचा (डाई), कटर, स्केल, नोट की छपाई वाले पेपर की गड्डी,कैंची ,तार आदि मिले हैं। गिरफ्त में आए अपराधियों में दो रोहतास व एक भभुआ (बिहार) के निवासी हैं। इनमें से एक हत्या के प्रयास के मामले में कुछ दिनों पूर्व भी जेल से जमानत पर रिहा हुआ था। पुलिस ने इनके खिलाफ राष्ट्रदोह समेत संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।
पुलिस लाइन में दोपहर आयोजित पत्रकार वार्ता में एएसपी चिरंजीव मुखर्जी ने दी। बताया कि कुछ दिनों से सूचना मिल रही थी बलुआ क्षेत्र में जाली नोट छापने व उसे बाजार में चलाने वाले गिरोह के कुछ सदस्यों की आवाजाही देखी जा रही है। इस सूचना पर एसपी अंकुर अग्रवाल ने बलुआ इंस्पेक्टर संग स्वाट व सर्विलांस टीम को इसपर नजर रखने आदेश दिया। इस बीच सुबह पुलिस टीम को पक्की खबर लगी कि बिहार से दो बाइकों पर सवार जाली नोट के सौदागर गिरोह के कुछ सदस्य बलुआ क्षेत्र में आने वाले हैं। आनन फानन में पुलिस टीम ने चहनियां-माधोपुर मार्ग पर घेराबंदी की। उसी दौरान एक दो बाइकों पर सवार इन तीन अपराधियों को पुलिस ने दबोच लिया।
जाली नोटों संग गिरफ्त में आए अपराधियों में गोपाल कुमार पांडेय व गोकुल कुमार पांडेय (सगे भाई)पुत्र अवधेश पांडेय निवासी भलुवाही थाना बघौला जिला रोहतास तथा सोनू यादव पुत्र राज नारायन यादव निवासी मसौढ़ा थाना दुर्गावती कैमूर भभुआ (बिहार) हैं।
असली व नकली नोट में हैं मामूली अंतर
अपराधियों के पास से मिले नकली नोटों को देख पुलिस की टीम हैरान रह गई। बहुत ध्यान से देखने पर ही नोटों की कटिंग में कमियां मिली। आम तौर पर रौशनी में देखे जाने पर नीली-पीली तार समेत महात्मा गांधी की तस्वीर असली नोटों की तरह ही निकली।
नोटों का कागज खरीदते थे पटना से
गिरफ्त में आए अपराधियों के अनुसार उन्होंने नकली नोट छापने के लिए असली नोट के कागज पटना (बिहार) के एक दुकान से खरीदा था। यह कागज असली नोट के कागज से बहुत कुछ मिलता जुलता दिखता है। नोट का कागज खरीदने के लिए इन्होंने कई दुकानों की खाक छानी थी। अपराधियों के अनुसार सबसे पहले नोट हाथ में आते ही उसके कागज से ही लोगों को शक हो जाता है कि यह नकली है। इसलिए उन्होंने असली नोट से ही मिलता जुलता कागज खरीदा था।
जेल से मिला था नकली नोट छापने का आइडिया
गिरफ्त में अपराधियों में गोपाल पांडेय 2014 में बिहार से सटे सैयदराजा थानाक्षेत्र में हत्या के प्रयास में जेल भेजा गया था। गोपाल के अनुसार जेल में उसकी कुछ मुलाकात शातिर अपराधियों से हुई थी जो नकली नोट के धंधे में पकड़ाए थे। उन्हीं की संगत में रहकर जल्द से जल्द अमीर बनने की चाह में उसने भी नकली नोट छापने के धंधे में आकर गिरफ्तार हो गया। इस धंधे में उसने अपने छोटे भाई को भाई शामिल कर लिया था।
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