BNP NEWS DESK। Bhojshala Saraswati Temple ज्ञानवापी की तर्ज पर मप्र के धार जिले में स्थित भोजशाला सरस्वती मंदिर का सर्वे कराने के निर्देश मप्र हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने दिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पांच वरिष्ठ अधिकारी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर यह पता लगाएंगे कि क्या भोजशाला परिसर स्थित कमाल मौला मस्जिद को सरस्वती मंदिर में तोडफोड़ कर बनाया गया था। सर्वेक्षण की रिपोर्ट छह सप्ताह में हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना होगी।
Bhojshala Saraswati Temple एएसआई की टीम भोजशाला के 50 मीटर परिक्षेत्र में जीपीआर, जीपीएस तकनीकों से जांच करेगी। कोर्ट ने एएसआइ से यह भी कहा है कि वह परिसर में स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवाल, पिलर, फर्श सहित सभी की कार्बन डेटिंग तकनीक से जांच करें। इसके अलावा भी उसे लगता है कि वास्तविकता तक पहुंचने के लिए कुछ अन्य जांच करनी है तो भोजशाला परिसर में मौजूद वस्तुओं को नुकसान पहुंचाए बिना करें।
क्या है इसका इतिहास
एक हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था। यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया। राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे। उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाने लगा। इसीलिए इसे हिंदू पक्ष देवी सरस्वती का मंदिर मानता है।
हिंदू संगठन ऐसा दावा करता है की 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था। बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी। 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी।
बताया जाता है कि 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी। इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली। इस प्रतिमा को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गय। फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है।
आखिर क्या है विवाद
हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं। हिंदुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी। दूसरी ओर, मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं। मुस्लिम इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।
जैसे राम मंदिर बना वैसे ही बनेगा सरस्वती मंदिर
मामले के याचिकाकर्ता अशोक जैन का कहना है किजिस प्रकार से अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बना ठीक उसी प्रकार से यहां मां सरस्वती का मंदिर बनेगा। हमारी मांग है कि वहां मां सरस्वती का पूजन करने दिया जाए। मां सरस्वती का मंदिर 1050 ई में राजा भोज ने बनवाया था.बाद में इसे आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया था।
The Review
Bhojshala Saraswati Temple
ज्ञानवापी की तर्ज पर मप्र के धार जिले में स्थित भोजशाला सरस्वती मंदिर का सर्वे कराने के निर्देश मप्र हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने दिया है।
Discussion about this post