BNP NEWS DESK। Gyanvapi survey ज्ञानवापी की वर्तमान इमारत क्या पहले से मौजूद रहे किसी हिंदू मंदिर के ढांचे पर बनी है, यह पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने शुक्रवार को परिसर का वैज्ञानिक विधि से सर्वेक्षण फिर से शुरू किया। हाई कोर्ट के आदेश पर एएसआइ की टीम ने वुजूखाने को छोड़कर लगभग साढ़े छह घंटे सर्वे की कार्यवाही की।
ज्ञानवापी में मौजूद बाहरी दीवारों की बारीकी से जांच की गई
Gyanvapi survey बाहरी हिस्से की जमीन की जांच आधुनिक मशीन ग्लोबल पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) से की गई। जुमे की नमाज के लिए दोपहर में थोड़े वक्त के लिए सर्वे रोका गया। इमारत के कुछ हिस्सों में बंद तालों की चाबी सर्वे टीम को नहीं मिली। सर्वे के मद्देनजर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के आसपास कड़ी सुरक्षा की गई थी। मस्जिद पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया।
एएसआइ टीम ने सुबह सात बजे सर्वे शुरू करने की बात कही
एएसआइ टीम ने सुबह सात बजे सर्वे शुरू करने की बात कही थी। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से मंदिर और मस्जिद पक्ष को सूचना दी गई थी। तय समय पर मंदिर पक्ष से वादी महिलाएं रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास के साथ उनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी पहुंच गए। जिला प्रशासन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय भी आ गए। सुबह पौने आठ बजे एएसआइ की टीम ज्ञानवापी पहुंची और साढ़े आठ बजे सर्वे शुरू हुआ।
Gyanvapi survey चार टीमें बनाई गईं। दो टीमों ने पश्चिमी दीवार की जांच शुरू की। एक टीम को पूर्वी दीवार, दूसरी को उत्तरी दीवार व उससे जुड़े क्षेत्रों में जांच के लिए लगाया गया। टीम ने इन दीवारों के साथ ही इमारत की बाहरी दीवारों के आसपास जीपीआर का उपयोग किया। प्रयास यह जानने का था कि बाहरी क्षेत्र में भी तहखाने हैं या ठोस जमीन है।
इस बार खनन के औजार ज्ञानवापी परिसर में नहीं ले जाए गए
हाथ में लिए गए जीपीआर को जमीन पर इधर-उधर घुमाकर एएसआइ के विशेषज्ञ मशीन से मिल रही जानकारी दर्ज कर रहे थे। शाम पांच बजे सर्वे रोक दिया गया। इसके बाद सर्वे टीम के साथ अन्य लोग ज्ञानवापी परिसर से बाहर आ गए।
पिछली बार की तरह इस बार खनन के औजार ज्ञानवापी परिसर में नहीं ले जाए गए। एएसआइ टीम का सबसे ज्यादा ध्यान पश्चिमी दीवार पर रहा। दो टीमों ने दीवार पर मौजूद प्रत्येक आकृति की बनावट आदि की जानकारी दर्ज की। पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी भी की गई। विशेषज्ञों ने पूरी दीवार को ऊपर से लेकर नीचे तक जांचा।
दीवार के आसपास की जमीन पर जमी घास को अपने हाथों से उखाड़ा। इसके बाद जितनी दीवार नजर आई, उस पर बनीं कलाकृतियों को जांचा। दीवार पर बने एक दरवाजे को पत्थरों से बंद किया गया है। दरवाजा दीवार की बनावट से मेल खाता है या नहीं, यह भी जांचा? पूर्वी दीवार पर भी बंद दरवाजे को देखा और इमारत की बनावट से इसका मेल करने का प्रयास किया। वुजूखाना के आसपास और जितनी भी कलाकृतियां नजर आईं, उन्हें रिकार्ड में दर्ज किया। उत्तरी दीवार की बनावट व कलाकृतियों पर भी नजर रही और उनकी बनावट, आकार आदि को जांचा-परखा।
नहीं मिल सकी तहखाने की चाबी
मस्जिद पक्ष की ओर से किसी के मौजूद नहीं रहने से तहखानों व गुंबद के नीचे मौजूद कमरे की चाबी इस बार भी नहीं मिली। इस कारण विशेषज्ञ उन जगहों पर नहीं जा सके। बाहरी दीवारों की जांच के साथ ही व्यास जी के कमरे को जरूर देखा।
इस बार कम रही विशेषज्ञों की संख्या
बनारस, लखनऊ, दिल्ली व आगरा से आए 33 सदस्यीय टीम का नेतृत्व एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक एडीजी आलोक त्रिपाठी ने किया। टीम में नापजोख विशेषज्ञ व जीपीआर हैंडलर अधिक हैं। 24 जुलाई को हुए सर्वे में यह संख्या 43 थी और जीपीएस तकनीक से नक्शा बनाने वाले विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। नक्शा का काम पूरा हो चुका है।
सामान्य से अधिक संख्या में पहुंचे नमाजी
ज्ञानवापी में होने वाली जुमे की नमाज को देखते हुए दोपहर 12.30 बजे सर्वे का काम रोक दिया गया। नमाजियों के आने का सिलसिला दोपहर 12 बजे से शुरू हो गया था। नमाज दो बजे खत्म होने के बाद वे बाहर निकलने लगे। अंजुमन इंतेजामिया के स्वयंसेवक व पुलिस के जवान उन्हें परिसर के आसपास से आगे भेज दे रहे थे। नमाजियों की संख्या सामान्य से ज्यादा रही। आम दिनों में 400-500 नमाजी आते थे, शुक्रवार को यह संख्या 2500 के आसपास थी।
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ज्ञानवापी की वर्तमान इमारत क्या पहले से मौजूद रहे किसी हिंदू मंदिर के ढांचे पर बनी है, यह पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने शुक्रवार को परिसर का वैज्ञानिक विधि से सर्वेक्षण फिर से शुरू किया।
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